आरोप सिद्ध हो जाने के बाद हुआ निलम्बन फिर सशर्त हुई बहाली (दिलावर सिंह/जवाहर लाल गुप्ता)


 


ज्यों ज्यो दवा की मर्ज बढ़ता ही गया


सलेमपुर (देवरिया)। ‘ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया।’ यह मुहावरा नगर पंचायत मझौली राज में सटीक सिद्ध हुआ। गबन सिद्ध हो जाने पर एक बार निलम्बन किया और फिर आरोपी की सशर्त बहाली कर दी गई। यहॉं तक तो समझ में आता है किन्तु बहाली की जो शर्त थी आरोपी ने अन्दर मियाद पूरी नहीं टंकी और वह सेवारत भी ये माजरा गले से नीचे नहीं उतर रहा। भगड़ा भवानी प्राथमिक विद्यालय अब इंगलिश मीडियम हो गया है। उसमें पढ़ाई भी अंग्रेजी माध्यम से हो रही है। अनेक अभिभावकों ने अपने बच्चों को कान्वेण्ट स्कूलों से निकाल कर यहॉं एडमिशन दिलाया है किन्तु इतना होने के बावजूद जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते इस विद्यालय में अभी भी सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहालों को टूटे फूटे शौचालय का उपयोग करना उनकी मजबूरी बन गई है। 


विद्यालय के कमरों के बाहर बालू और ईंटों के टुकड़ों का ढेर जिम्मेदारों के उदासीनता की कहानी कह रहे हैं। शौचालय जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। अन्दर गन्दगी का आलम यह है कि आप उसमें जा नहीं सकते तो नौनिहाल कैसे जाते होंगे। इस सम्बन्ध में विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले एक अभिभावक ने बताया कि शौचालय की मरम्मत के लिये विभाग से धन आया था किन्तु उसकी मरम्मत सिर्फ कागजों मे ही दिखाकर उसका आहरण कर लिया गया। जब विभागीय उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी हुई तो प्रभारी प्रधानाध्यापिका को निलम्बित कर दिया गया और इसकी जांच सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी डीएन चन्द को दे दी गई।


स्थिति यह है कि निलम्बित प्रभारी प्रधानाध्यापिका कार्य कर रही हैं। शौचालय जैसे जीर्ण शीर्ण अवस्था में था और अब भी है। उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है। अब तो आस पास के लोग कहने लगे हैं कि विद्यालय की व्यवस्था ऐसे ही चलती है और ऐसे ही चलती रहेगी। इसका भगवान ही मालिक है। इस सम्बन्ध में जब उप जिलाधिकारी संजीव कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं इस मामले को दिखवाता हूॅं।