अम्बेडकर आखिर किसके? : मिठाई लाल भारती


डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन के 65 सालों में, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक आदि क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया जो कि किसी विलक्षन मानव के लिये भी असम्भव प्रतीत होता है फिर वो सिर्फ जाति विशेष के मसीहा के रूप में क्यों स्थापित किये जा रहे हैं?


महिलाओं के लिये बहुविवाह से छुटकारा, सम्पत्ति पर बराबरी का हक़, वोट का अधिकार, गर्भधारण अवकाश, तलाक अधिकार इत्यादी क्रांतिकारी कार्यों के बाद भी वो महिलाओं के मसीहा नहीं?


PF, रविवार अवकाश, औध्योगिक कानून के बाद भी वो नौकरीपेशा वर्ग के मसीहा नहीं?


रिज़र्व बैंक के गठन के मूल सिद्धांत के बाद भी वो एकनॉमिक्स के मसीहा नहीं?


बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों को जागरुक करने के लिए साल 1927 से 1956 के दौरान मूक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक और पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया पर उनके भी मसीहा नहीं?


उन्होंने छात्रावास, नाइट स्कूल, ग्रंथालयों और शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से कमजोर वर्गों के छात्रों को अध्ययन करने और साथ ही आय अर्जित करने के लिए उनको सक्षम बनाया. सन् 1945 में उन्होंने अपनी पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी के जरिए मुम्बई में सिद्वार्थ महाविद्यालय तथा औरंगाबाद में मिलिन्द महाविद्यालय की स्थापना की पर वो छात्रों के मसीहा नहीं?


साल 1945 में उन्होंने देश के लिए जलनीति और औद्योगिकरण की आर्थिक नीतियां जैसे नदी-नालों को जोडना, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजना, राष्ट्रीय जलमार्ग, केंद्रीय जल और विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किए फिर भी औध्योगीकरण के मसीहा नहीं?


निर्वाचन आयोग, योजना आयोग, वित्त आयोग, महिला पुरुष के लिये समान नागरिक हिन्दू संहिता, राज्य पुनर्गठन, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, मौलिक अधिकार, मानवाधिकार, निर्वाचन आयुक्त और सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं विदेश नीति बनाई पर नव भारत निर्माण के मसीहा नहीं?


इतने क्षेत्रों में विलक्षन कार्य करने के बावजूद अभूतपूर्व ज्ञान का चरम छूने के बावजूद विश्व में Symbol of Knowledge के रूप में जाने के बावजूद उनके खुद के देश उन्हें सिर्फ जाति विशेष के मसीहा की तरह स्थापित किया गया जबकि किसी और देश में इस पर राष्ट्र निर्माता के रूप में पहचान मिली होती?