अपनो से युद्ध में हार जाना सुख की अनुभूती कराता है :  डाo अजय मणि


देवरिया। मनुष्य अपने जीवन के सुख दुख का भागी स्वय्  होता है लेकिन समय उसको बोध नही होने देता है।आज के व्यस्तता भरी जीवन में आदमी सुख समृद्धि के लिये अपना पराया भी भूल जा रहा है लेकिन कभी ऐसा वक्त आता है कि मनुष्य अपनो से ही लड़ जाता है और ये नही सोचता है कि जिससे मेरी लड़ाई उससे मेरा क्या रिस्ता सम्बन्ध है। आज शिक्षा जगत से जूड़े रहने की वजह से छात्र राजनीती से लेकर भाजपा संगठन की राजनीती में मेरा जीवन अपनो के प्रति समर्पित रहा पार्टी की विचारों से मैने ये सीखा है की राजनीती व सम्मान को लेकर जब लड़ाई हो तो झुकना नही चाहिए लेकिन यदि किसी विषय को लेकर परिवार य़ा अपने सम्बन्धो मे विवाद आ जाय तो उस वक्त अपने धर्म का पालन करना चाहिए। राजनीतिक पार्टी भाजपा का सिपाही हूँ मैने अपनो से हारना सिखा हैं क्योकि जब अपनो से हार होती उस वक्त अपनो मे ख़ुशी झलकती है जो सुख की अनुभूती को प्रदान करता है इसलिये जीवन काल मे इसे अपने जीवन के दर्पण मे उतारना चाहिए अपनो की खुशी, गैरो से जीत की आशा, के साथ जीवन को सवॉंरिये। हम सब को आज के परीवेश मे राष्ट्र के साथ अपना नजरिया बदलते हुए देश के कुशल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा किये जा रहे कार्यो का आदर करते हुए समाजिक और करोना संक्रमण जैसे  दुश्मन को समाप्त करना देश के नागरिक का कर्तव्य है। इस बिषय पर शान्दार चर्चा गुरुकुल वाणी के शिवाकांत  तिवारी और भाजपा नेता एस एस बी एल के प्रधानाचार्य  डाo अजय  मणी जी से बात के माध्यम से राजनीतिक जीवन पर विचार  किया गया।