बेटी और बहू में न भेदभाव कीजिए .....


बेटी तो लगती हर हाल में प्यारी,
    क्योंकि वो दिल का टुकड़ा होती है।
बहू भी है किसी के दिल का टुकड़ा,
    ये बात सबको नही समझ आती है।
बेटियों पर अपार प्यार लुटाते हैं,
       क्योंकि वो खुद की जाई होती हैं।
और यही प्यार बहू को नही दे पाते,
      क्योंकि बहू पराये घर से आती है।
बेटी की गलती भी चीनी सी लगे,
      जो हर हाल में मीठी ही लगती हैं।
बहू चाहे कितनी भी अच्छी हो,
      बेटी के सामने सीठी ही लगती है।
पर जिन्हें बेटियों का मर्म पता है,
     वह स्वधर्म निभाना नही भूलता है।
ऐसा दिल कभी पक्षपात नही करता
   वो धर्म का रिश्ता प्रेम से निभाता है।
जहाँ बहू को बेटी सा प्यार मिलता,
   वहाँ सदा खुशियों का वास रहता है।
सच्चे दिल से बहू को भी अपनाओ,
     बहू भी बेटी के जैसे प्यारी होती है।
प्यार व सम्मान पाना हक है इनका,
   वो मायका छोड़ अपने घर आती है।
संकीर्ण मानसिकता त्याग दीजिए,
  दोनों ही अपनी हैं नही पराई होती हैं।
दोनों बेटियों से समान प्यार कीजिए,
   इनकी खुशी अपनों से जुड़ी होती है।
बहू-बेटी में कभी न भेदभाव कीजिए,
दोनों ही दोनों कुलों का मान बढ़ाती है।



         मंजू श्रीवास्तव
     कानपुर (उत्तर प्रदेश)