एक गोरखपुरी महिला का नजरिया : रवीश पाण्‍डेय


क्‍या महिलाओं में नारीवाद की आग सुलगने लगी है ?


कभी सोनिया के जीवन को देखो, कितना गरियाया गया, कितना कोसा गया,कितना सरापा गया, किस बात के लिए ? 
अपने जन्म भूमि के लिए जिस पे उसका कोई बस नहीं,
राजीव गांधी से प्रेम विवाह किया , क्या गलत किया।


जवान देवर मरा,
सास को संभाला होगा,
देवरानी को,उसके बच्चे को भी,
अपने हसबेंड को भी,
तब तक घरेलू झगड़ा वगड़ा भी नही था।
तो बड़ी बहु की जिम्मेवारी निभानी ही पड़ी होगी ... 
84 में सास की हत्या हुई कितनी उमर रही होगी पैंतीस चालीस साल
 फिर जीवन में जरा सुख आया तो पति के चिथड़े चीथड़े हो गए , 
ऐसी भयानक मौत ... 


*50 की उम्र से पहले ही दुनिया का सारा दुख देख लिया ....*


अब इंडिया की नम्बर 1 फेमिली में शादी हुई तो क्या करती, 
यहां तो प्रधानी कोई नही छोड़ता ...


 उसे मान भी तो रखना था
 घर का वरना यही लोग उसके लिए गरियाते कि अच्छा खासा परिवार सम्भाला नहीं गया ... 


इधर राजनीति में आई नहीं कि , 
कोई गाली बची नहीं जो उसे नहीं दी गई , 
आज तक दी जा रही है ...
 मगर उसने आज तक किसी को पलट के जवाब दिया, 
कभी जुबान गन्दी की ... 
जिस स्तर का बड़प्पन , 
जिस स्तर की सहनशीलता , 
सब्र और मर्यादा उसने निभाई
 किसी के बस का नहीं है।
 यहां तो जरा सा घड़ा भरा नहीं कि छलकने लगता है ... 


प्रधान मंत्री पद छोड़ना अगर मामूली त्याग लगता है तो लोग अपने गिरेबान में झांक लें फिर बोले ...
और नही तो राहुल को 2009 में तो आराम से प्रधानमंत्री बनवा सकती थी लेकिन मां बेटे दोनों ने इस मामले में सब्र रखा ...
इतनी ट्रेनिंग कोई पावरफुल परिवार कराता है .. 
यहां तो विधायक बाप मरा नही कि मां बेटी ,सास बहू,भाई भाई में सीट के लिए झगड़ा हो जाता है।


क्या क्या नही त्यागा,
जन्मभूमि,खान पान,रहन सहन
 रीति रिवाज सब .....  
यहां जरा अपनी बहु को कोई देसी पहनावा पहिना के,अपने हिसाब से खाना पीना करवा के दिखा दे तो जाने,चूल्हा अलग न हो जाये तो कहना ।


उसने हिंदी सीखी , 
यहां तो साउथ के नेता नहीं बोल पाते जो इसी देश के है तब भी उसकी बोली का मजाक बनाते सरम नहीं आती .....


उसकी बीमारी का मजाक ,
 विधवा होने पर व्यंग्य .. 
मने इतना भी कोई गिर सकता है।
 कैसे सहती होगी .... 
हम हो तो मुंह नोच लें , 
सात पीढी परिछ दे , 
हमारे बाप भाई तो सुन के पता नहीं क्या करे,
उससे तो उसका नइहर भी छूट गया ..... 


हमको भले राजनीति नहीं आती लेकिन एक औरत की नज़र रखते है, औरत होने का दुख जानते है ..
 अरे उ भी आदमी है .... 


*धरमपत्नी कहिन*


  साभार *पंकज मिश्र* गोरखपुर