जालियावाला बाग हत्या कांड को याद कर सिहर उठता है हिंदुस्तान : रवीश पाण्डेय


जालियावाला बाग के अमर बलिदानियों के अदम्य साहस को कोटि कोटि नमन्


अंग्रेजों के अत्याचारों की पराकाष्ठा का प्रतीक जालियावाला बाग हत्याकांड


*13अप्रैल को हुई थी खालसा पंथ की स्थापना*


*घटना के 101वर्ष पूरे हुए*


सलेमपुर, देवरिया। देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुःखद घटना के साथ दर्ज है। वह वर्ष 1919 ई०का 13 अप्रैल के दिन था,जब जालियावाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर अंग्रेज हुक्मरानों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थी।
जालियावाला बाग हत्या कांड समूचे भारत को हिलाकर रख दिया था। 1919 ई० में *रॉलेट एक्ट* के विरोध में पूरे भारत में प्रदर्शन हो रहे थे। 13 अप्रैल 1919 ई० को पंजाब के अमृतसर के ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर के नजदीक जालियावाला बाग नाम के बगीचे में एक सभा का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य अहिंसात्मक ढंग से अंग्रेजों के प्रति अपना विरोध दर्ज कराना था।ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड *डायर* के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे,बूढों, महिलाओं और बच्चों सहित हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया।अंग्रजों के गोलीबारी से घबराई बहुत सी औरतें अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिये कुएं में कूद गईं।इस कुएं से 120 लोगों का शव निकाला गया था।इस घटना में एक हजार से अधिक लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा वहीं दो हजार से अधिक लोग घायल हो जीवन व मौत से संघर्ष कर रहे थे।इस घटना के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया जिससे घायल व जख्मी लोग अस्पताल तक नही पहुंच पाए।
जनरल डायर के आदेश पर दस मिनट में एक हजार छः सौ पचास राउंड गोलियां बरसाई गयी थी जिनके निशान आज भी दीवारों पर देखे जा सकते हैं।
एक अन्य घटना की बात करें तो *खालसा पंथ* की स्थापना भी सिखों के 10 वें गुरु *गोविंद सिंह* ने 13 अप्रैल 1699ई० में किये थे।उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में इस दिन फसल पकने की खुशी में *बैसाखी* का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
आजादी के आंदोलन की सफलता और बढ़ता जनाक्रोश देख ब्रिटिश राज ने दमन का रास्ता अपनाया।वैसे भी छः अप्रैल को हड़ताल की सफलता से पंजाब का प्रशासन बौखला गया।पंजाब के दो बड़े नेता *सत्यपाल* व *डॉ किचलू* को गिरफ्तार कर निर्वासित कर दिया गया जिससे अमृतसर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था।जैसे ही पंजाब प्रशासन को खबर मिली कि लोग बैशाखी के दिन 13 अप्रैल को आंदोलनकारी जालियावाला बाग में जमा हो रहे है तो प्रशासन ने आंदोलनकारियों को सबक सिखाने को ठान ली और एक दिन पहले ही *मार्शल लॉ* की घोषडा कर दी गयी।पंजाब के प्रशासक ने अतिरिक्त सैनिक टुकड़ी बुलवा ली थी।जनरल डायर के कमान में यह टुकड़ी 11 अप्रैल की रात अमृतसर पहुंचकर अगले दिन शहर में फ्लैग मार्च भी निकाल दी।पंजाब के तत्कालीन गवर्नर *माइकल ओ डायर* ने अपने ही नाम वाले अधिकारी *जनरल डायर* को आदेश दिया कि वह भारतीयों को सबक सिखा दे।निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाने की इस घटना का बदला लेने के लिए *उधम सिंह* ने 13 मार्च 1940 ई० गवर्नर माइकल ओ डायर को गोली मारकर बदला ले लिया लेकिन इन्हें गिरफ्तार कर दंडस्वरूप 31 जुलाई 1940ई०को फांसी पर चढ़ा दिया गया।
जालियावाला बाग हत्या कांड की घटना ने 12 वर्ष की उम्र के *भगत सिंह* की सोच पर इतना गहरा प्रभाव डाला था कि इन्होंने अपने स्कूल से 12 मील पैदल चलकर जालियावाला बाग पहुंच गए थे।
*रवींद्र नाथ टैगोर* ने इस हत्या कांड का विरोध जताते हुए *नाइट हुड* की उपाधि लौटा दी थी।
माँ भारती की स्वाधीनता के लिए इस सर्वोच्च बलिदान के लिए हम देशवासी सदैव ऋणी रहेंगे।जालियावाला बाग की अमर बलिदानियों के अदम्य साहस को कोटि कोटि नमन करते हैं!
*आओ झुककर सलाम करे उनको*
*जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है*
*खुशनसीब होता है वो खून*
*जो देश के काम आता है*
*कभी वतन के लिए सोच के देख लेना*
*कभी माँ के चरण चूम के देख लेना*
*कितना मजा आता है मरने में यारों*
*कभी मुल्क के लिए मर के देख लेना*