आज विश्व में कारोना से तबाही मची है लेकिन कल तक जो अपने को समाज सेवी लिखते थे राजनीति के मर्मग्य होकर जनता का विकास समाज का बिकास पर चट्टी-चौंराहो पर घंटो देर तक अपने मुख से प्रशंसा का पुल बाँधते थे आज उन्हे देखने के लिये गरीबो की बस्ती के लोग बाट जोह रहे है। राजनीति के क्षेत्र मे अपनी गरीमा को ऊँचा उठाने का प्रयास सभी राजनीतिक पार्टियों को एक साथ जुटकर मदद के लिये आगे आना चाहिए। हम सब को उनकी प्रसंशा करनी चाहिए जो अपनी जान की बाजी लगाकर संस्थान द्वारा ट्रस्ट द्वारा सफाई के अभीयान मे अपना श्रम दे रहे है गरीबो को भोजन के प्रति चिंता व्यक्त करते है हास्पीटल में कर्मचारी अपना इमेरजेंसी मे दिन रात लगकर सेवा भावना का कार्य कर रहे प्रसासन की व्यवस्था मजबुती से लगी है उनके लिए एक नेक विचार होना चाहिये।
भारत में सेवा भावना से करने वाले को समाजसेवी कहते है। चुनाव मे दारू बाटने वाले हालचाल लेने वाले लोग घरो में दुबके है जो समाज के लिये बिचारणिय है जिस तरह आनलाइन व्यवसाय चल रहा था उसी प्रकार चुनावी गणित वाले समाजसेवी समाज सेवा कर रहे है जितना उनके द्वारा सेवा की जाती है उससे ज्यादा फोटो कापी कर फेकबूक पर प्रचार प्रसार देखने को मिलता है। इसलिये ऐसे समाजसेवी से बचिये। राष्ट्र मे कारोना तभी समाप्त होगा जब घर में हम सब रहेंगे व सरकार की व्यवस्था का पालन करेंगे।
एक कटाक्ष राजनीती पर : शिवाकांत तिवारी