माना जा सकता है कुछ लोगों के लिये पत्रकारिता उनका जीवन है, वह किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकतें....
पर यह भी याद रखने योग्य हैं कि पत्रकार के साथ-साथ आप किसी के पुत्र, पिता, पति, भाई भी हैं, आपका अपना परिवार भी है, परिवार के प्रति आपका कर्तव्य भी बनता है....
यह भी पत्रकार साथियों को ध्यान रखना होगा कि जिस संस्थान के लिये हम कार्यरत है वह भी मुसीबत पड़ने पर पल्ला झाड़ लिया करता है, मतलब आपको कुछ गंभीर हो जाने के बाद किसी तरह की मदत नही करता संस्थान, यहां तक कि भली भांति प्रकार से जोख़िम जानते हुए भी संस्थान आपका बीमा तक नही करवाता...
यही स्थिति सरकार की भी है, सरकार द्वारा कोई भी फंड पत्रकारों की बुरी स्थिति या मौत होने पर देय नही है, यानी ना तो संस्थान ना ही सरकार की कोई जवाबदेही, मतलब लावारिस है हम पत्रकार...
कोरोना जैसी महामारी को हमारे कुछ पत्रकार साथियों ने भी उतनी गंभीरता से नहीं लिया, जिसका नतीज़ा आपके सामने आ रहा है, दर्जनों पत्रकार साथी देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना से संक्रमित पाये गए हैं, कुछ की मौत भी हो चुकी है....
अधिकतर जिलो में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार को उनका संस्थान रिपोर्टर भी नही कहता, उन्हें संस्थान स्ट्रिंगर का पत्र देती है, कुछ को तो किसी प्रकार का पत्र भी ज़ारी नही किया जाता, इसी से आप आकलन लगा सकते हैकि आप संस्थान के लिये कितने महत्वपूर्ण हैं...
आप सभी से आग्रह हैं कि जोश में होश ना खोएं, अपना काम करें पर पूरे तैयारी के साथ, यानी बचाव के साथ, ध्यान रखें आपका परिवार आप पर निर्भर है....
*पत्रकारहित में ज़ारी...*