कोरोना जंग, जमात और जज्बात : श्रीधर मिश्र


लोग घरों में हैं, मेडिकल सुविधाएं कम हैं आबादी बड़ी है तो बचाव के तरीकों से ही जान बच सकती है, यदि इसे त्रासदी समझेंगे तो अपने रहन सहन खान पान में हो रही असुविधाओं से कुढेंगे नहीं,।


जमात के चलते कोरोना संकट  कुछ गहरा दिया है, अब यह सरकार की चौकसी की कमी के चलते हुआ कि जमात के लोगो की लापरवाही के चलते हुआ, या उनमें एवरनेस   की कमी के चलते हुआ, कारण जो भी हो रहा हो लेकिन जब हम खुश हो रहे थे, कोरोना का प्रसार नियंत्रित होने लगा था उसी वक्त जमात की नादानी से यह प्रसार अकस्मात बढ़ गया, अब कुछ लोग जमात के पक्ष में तमाम तर्क दे रहे, उसे क्लीन चिट दे रहे, कुछ बुद्धिजीवी इसे जमात की गैदरिंग के समांतर अयोध्या, वैष्णव देवी में रुके लोगों की तुलना कर रहे, कुछ लोग तमाम फेक वीडियो वायरल कर रहे, कोई थूकने की वीडियो वायरल कर रहा, मतलब कोरोना की जंग अब हिन्दू मुश्लिम सवाल पर अटक रही, कुछ लोगो को मौका मिला तो इसे भुना रहे, घृणा की खाई बढ़ा रहे, अब तो बाकायदा अपने अपने पक्ष में मोर्चाबंदी कर ली गयी है,।


एक जमात है भारत के बुद्धिजीवियों की आजकल यह भी जमात के लोगो की तरह की पूर्वग्रही हो चली है, वे किसी भी कीमत पर यह नही बोल सकते कि कोई भी लापरवाही किसी जमात से हुई है, उनके पास हजार तर्क हैं आज उनकी दुर्दशा पर तरस आ रहा, ये वही लोग हैं कि वे जो लिखते बोलते थे उसे नियम की तरह लोग श्रद्धा विश्वास से ग्रहण करते थे आज उनके कहे पर लोग उनके साथ गाली गलौच करने लग रहे, यह सही है कि मीडिया आजकल खुद ही आग बो रहा, एकतरफा न्यूज़ बना रहा, आप मीडिया को कोस रहे लेकिन आप खुद क्या कर रहे, आप भी एक पक्ष में खड़े हैं उसके अच्छे बुरे सबका समर्थन कर रहे, यह सामान्य समय नही है, मौत दरवाजे पर खड़ी है, सब घरों में दुबके है, यदि किसी की लापरवाही से मौत का शिकंजा बढ़ता महसूस होगा तो लोग उसके विरुद्ध कुपित होंगे, आप अपना ज्ञान धरे रहिये, और यदि एक पक्ष के साथ खड़े रहेंगे तो आप पार्टी मैन समझे जाएंगे, और दूसरा पक्ष आपको अपना हितैषी नही मान पायेगा,।


इस संकट में कमसे कम अपनी पार्टियों का एजेंडा न चलाएं, हिन्दू मुश्लिम कार्ड न चलें, यह जीवन की जंग है इसमे एक जुट होइये पहले बचिए फिर एजेंडा याद कीजिये, कुछ लोग जमात की लापरवाही को पूरे मुस्लिम सुमदाय की लापरवाही की तरह प्रचारित कर रहे, तमाम मुसलमान डॉक्टर हैं, मेडिकल कर्मी है, पुलिस मैन हैं जो इस जंग में जान जोखिम में डाल कर सेवा दे रहे, आपकी इन कार्यवाहियों से उनका हौसला कमजोर होगा, आपत्ति में धैर्य सबसे बड़ा सम्बल होता है, कृपया हिन्दू मुस्लिम कार्ड न खेलें,।


सरकार के पास सन्साधन कम हैं यह सही है कि जब कोरोना की दस्तक की भनक लगी तब सरकार इसे उतनी गम्भीरता से नही ले पायी, समुचित प्रबंध समय रहते नही किया गया, आज डॉक्टर, मेडिकल कर्मी, पुलिस के लोग मास्क, सेनिटाइजर जैसी चीजों की कमी से जूझ रहे, जो यदि यह जेन्विन सवाल उठा रहा तो वह देश द्रोही नहीं है, प्रश्न तो सत्ता से ही किया जाता है, मोदी जी प्रधानमंत्री हैं वे राष्ट्र नही हैं अपने प्रधानमंत्री से शिकायत करने, अपनी बात करने का सबका हक है, अब यदि कोई मोदी जी से कोई सवाल करता है तो दस लोग उसे देशद्रोही कह कर गाली गलौच करने लगते हैं, यह राजतंत्र नही लोकतंत्र है इसमे सभी विचार धाराओं के बने रहने, तर्क वितर्क करने सहमति व असहमति की पूरी आजादी होती है।


अब जो कर रही है  सरकार ही कर रही, उसकी जिम्मेदारी भी बनती है, सबका अपना विश्वास  व कार्यशैली होती है, राजनाथ सिंह जी फ्रांस जाकर राफेल की पहिया के नीचे नींबू रख आए तो यह उनकी आस्था का मामला है, अमरीका में एक उपग्रह छोड़ते समय एक पादरी होली वाटर छिड़क रहा था, यह उनकी आस्था का सवाल है, यह पाखण्ड भी होसकता है लेकिन जब तक विज्ञान अपने पैरों पर पूरी तरह खड़ा नही हो जाता तबतक यह घाल मेल चलता रहता है, इतना बर्दास्त तो करना पड़ेगा,।


आइये गलत को गलत कहने की हिम्मत पैदा करें, बेवजह अफवाह न फैलाएं, एजेंडा न साधें, अपने जज्बात सम्भालें, राजनीति वगैरह बाद में करें पहले जीवन बचाने का उपक्रम करें,।


अब धर्म मजहब बाद में बचाएं पहले जीवन बचाएं, जाति धर्म मजहब कुछ दिन किनारे करें केवल मनुष्य बने रहें एक जाति एक धर्म एक मजहब और वह केवल मनुष्यता,
जीवन सत्ता सर्वोपरि है सारे धर्म ज्ञान विज्ञान, साहित्य, कलाएं, शास्त्र, तकनीक समाज, सब केवल जीवन को सुरक्षित व संरक्षित करने के उपक्रम हैं...आइये मिलकर पहले जीवन बचाएं।