कोरोना पर कविता


चाइना पे शक अब हमके त होता
हँसता सबकर उजार के ऊ खोता
ओकरा त देश मे सबकुछ बेचाता
काल के गाल में इ दुनिया समाता
पिज्जा बर्गर बिरयानी मत खइह हो
चाइनीज छोड़ी देशी के अपनइह हो
लेके ई त स्वाद गांव-शहर पछताता
काल के गाल में ई दुनिया समाता
आपन संस्कृति आ धरम के बा हानि
ढेर तू कईल अब तू कर ना नादानी
लाश पे लाश एम्बुलेंस प ढोआता
काल के गाल में ई दुनिया समाता



            डी0 के0 सिंह