कोरोना वायरस सीरीज लेख संख्या-4

कोरोना वायरस का जीवन चक्र।


सभी जीव अपने जीवन चक्र (Life Cycle) को पूरा करते है। जन्म से आरंभ होकर, पोषण, स्वशन, प्रजनन इत्यादि एवं फिर मृत्यु। इस जीवन चक्र के दौरान वो अपने आस पास के वातावरण को प्रभावित करते है और वातावरण से स्वयं भी प्रभावित होते है। अतः किसी भी हानिकारक परजीवी के इलाज हेतु उसका जीवन चक्र समझना अतीव महत्वपूर्ण है। वायरस जीवित एवं मृत के बीच की कड़ी होते है। अपने सभी जीवनोपयोगी कार्यो के लिए उन्हें एक जीवित कोशिका की आवश्यकता पड़ती है और वायरस को यह सभी आवस्यकता पूर्ण करता है जैसे कि प्रोटीन बनाने की मशीनरी। नीचे आपके समक्ष कोरोना विषाणु का जीवन चक्र प्रस्तुत है जो जाहिर है कि वैज्ञानिकों द्वारा जितना समझा जा सका है उतना ही है। 


चूंकि यह आकार में काफी छोटा (~ 100nm, 1mm लगभग दस हजारवाँ हिस्सा) है, और होस्ट से बाहर मृतप्राय रहता है, इसका क्रिस्टल बनाया जा सकता है। क्रिस्टल बना कर इसे विशेष तकनीकी एक्स रे क्रिस्टेलोग्राफी से इसके आकर एवं निर्माण को समझा जाता है।


-इसके चक्र को समझने के लिए जीवित कोशिकाओं को इससे संक्रमित करते है। ऐसी जीवित कोशिकाओं को लैब में कल्चर प्लेट में विकसित किया जाता है। फिर ऐसी संक्रमित कोशिकाओं का अध्ययन शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी से करते है। कोरोना वायरस के चक्र में निम्नलिखित अवस्थाये देखी गयी है। 


-कोरोना वायरस में चार मुख्य संरचनात्मक प्रोटीन्स होते हैं। वैज्ञानिकों ने इनके नाम S, N, E एवं M प्रोटीन रखे है। S प्रोटीन अथवा स्पाइक प्रोटीन एक ऐसी प्रोटीन होती है जो तीन समान प्रकार के छोटे प्रोटीनो से बनती है और एक कांटेदार संरचना वायरस के सतह पर बनाती है। वायरस का यही प्रोटीन मानव कोशिका से सबसे पहले संपर्क में आता है। मानव कोशिका एक प्रोटीन बनाती है जिसका नाम फ़्यूरिन प्रोटीएज है, वो वायरस के S प्रोटीन को दो भागो S1 एवं S2 में तोड़ देती है। S1 अपेक्षाकृत बड़ा होता है और इसी में मानव के कोशिकाओं के सतह पे पाए जाने वाले ACE2 प्रोटीन से बंधने वाला रिजन होता है। जब वायरस का S1 प्रोटीन ACE2 प्रोटीन से बंधता है तो होस्ट (मनुष्य की कोशिकाओं) का एक और प्रोटीन प्रोटीएज सक्रिय हो जाता है। इसके सक्रिय होने से वायरस का वसा का बना आवरण होस्ट कोशिकाओं के आवरण से मिल जाता है और वायरस का आरएनए कोशिका के अंदर प्रवेश पा जाता है।


-जैसे ही वायरस का आरएनए अंदर आता है, यह अपने एक महत्वपूर्ण प्रोटीन रेप्लिकेस को होस्ट कोशिकाओं की प्रोटीन बनाने वाली मसिनारी की सहायता से बनाता है। अब इस रेप्लिकेस कि सहायता से दो पोलीप्रोटीन बनते है जिनहे PPA1 एवं पाप1ab कहते हैं। इनमे वायरस से संबंधित बहुत सारे संरचनात्मक प्रोटीन होते है। यही पर वायरस कुछ ऐसे प्रोटीन्स का भी निर्माण करता है जो होस्ट कोशिकाओं की कुदरती रक्षण प्रक्रिया को रोक देता है। 


-इसके पश्चात वायरस की प्रोटीन्स आपस मे मिलकर एक रेप्लिकेशन काम्प्लेक्स बनाती है जिससे कि वायरस के आरएनए की कई सारी कॉपीज बन जाती है। अब तक वायरस अपनी जरूरत के सारे प्रोटीन बना चुका होता है। अब वह कोशिकाओं के एक अंग एंडॉप्लसमिक रेटिकलुम में जाता है जहाँ पर वायरस के सभी हिस्से इकट्ठे होकर आपस मे जुड़ कर नए वायरस का निर्माण करते है और इस प्रक्रिया को असेम्बली कहते है। एंडॉप्लसमिक रेटिकलुम से अलग होकर यह गोल्जी नामक उपांग में जाता है और उसकी सहायता से कोशिका से बाहर आकर दूसरे संक्रमण चक्र अथवा अपने जीवन चक्र की शुरुआत नए स्वस्थ्य कोशिकाओं को संक्रमित करते हुए करता है।



-डॉ. विनय कुमार बरनवाल
सहायक प्राध्यापक
वनस्पति विज्ञान विभाग
स्वामी देवानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय
मठ लार, देवरिया