कोविड 19 से संबन्‍धित शोधकार्यो की वर्तमान स्थिति

*प्रिय आत्मिय बंधुवर*


*जीव विज्ञान का छात्र, शोधार्थी एवं अब एक सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत होने के कारण मैं लगभग प्रत्येक दिन कोरोना वायरस से संबंधित शोध पत्रो को पढ़ता हुँ। मेरी कोशिश है कि मैं आपको देश विदेश में हो रहे विभिन्न शोध से भिज्ञ करता रहूंगा जो हमारे लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते है।* 


सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर इम्यूनोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के अनुसार इस वायरस के चारो तरफ एक आवरण प्रोटीन होती है। उसका एक विशेष हिस्सा मनुष्य एवं चमगादड़ के कोशिकाओं में पाए जाने वाले वाले प्रोटीन ACE2 ( एंजियोटेनसिन कँवरटिंग एंजाइम 2) से जुड़ता है। उस विशेष हिस्से की पहचान इस शोध पत्र में की गई है। 


- अगर किसी प्रकार इस वायरस को इस प्रोटीन से जुड़ने से रोक जा सके तो हम इस समस्या का समाधान कर सकते है। इस प्रकार से उपरोक्त खोज एक महत्वपूर्ण शोध है।


- इन दोनों प्रोटीन्स के पारस्परिक जुड़ने को रोकने के लिए कई सारे शोध किये जा रहे है। इसके कई तरीके हो सकते है।


- एक तरीका यह हो सकता है कि हम किसी ऐसे मॉलिक्यूल को पहचाने जो ACE2 प्रोटीन की अपेक्षा वायरस के प्रोटीन से ज्यादा सुगमता से बंध जाए। कुछ वैज्ञानिक जिन्हें जैव सूचना वैज्ञानिक (Bioinfirmatician) कहते है वो इस दिशा में प्रयास कर रहे है।


- हमारे पृथ्वी पर उपस्थित सभी पदार्थ जैसे कि दवाइया इत्यादि के सूक्ष्म कण हमेशा एक निश्चित त्रिविमिय (3 Dimensional) संरचना में रहते है। इनमे से कई सारे मॉलिक्यूल्स की त्रिविमिय संरचना हमे ज्ञात है।  चूंकि उपरोक्त शोध पत्र में वायरस के कोट प्रोटीन का 3त्रिविमिय आकृति भी निर्धारित की जा चुकी है, अतः संभव है कि कुछ मेडिसिन इससे अतीव सुगमता से जुड़ जाए। ऐसे कई सारे सॉफ्टवेयर है जिनमे इन दोनों प्रोटीनों के पारस्परिक समन्वयन का अध्य्यन किया जा सकता है।


- इंडोनेशिया के कुछ वैज्ञानिकों ने यह तरीका इस्तेमाल करके कुछ ऐसे यौगिकों को इस बीमारी के निदान के तौर पर पहचान किया है। हालांकि इसको प्रयोग में लाने से पहले अभी भी कुछ और शोध की आवश्यकता है। 


- एक दूसरा तरीका यह हो सकता है कि वायरस के प्रोटीन के संरचना के आधार पर कुछ नए यौगिको का निर्माण किया जाए जो सुगमता से वायरस के कोट प्रोटीन से बंध जाए।


- इस दिशा में NEHU विश्वविद्यालय, शिलॉन्ग, भारत में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत डॉ तिमिर त्रिपाठी एवं उनकी टीम ने एक नए सिंथेटिक प्रोटीन की परिकल्पना प्रस्तुत की है। उनकी टीम ने शक्तिशाली सर्वर का इस्तेमाल कर यह नया प्रोटीन मॉलिक्यूल की परिकल्पना रखा है। यह शोध पत्र अभी एक पूर्व समीक्षा वालेे पत्रिका में प्रकाशित है और इसमे काफी कार्य करना शेष है।



*डॉ विनय कुमार बरनवाल*
सहायक प्राध्यापक
वनस्पति विज्ञान विभाग
*स्वामी देवानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय मठ लार, देवरिया*