लॉकडाउन में ऑनलाइन कक्षाएँ महज फीस वसूलने की नौटंकी : पीयूष चतुर्वेदी


प्रयागराज। देश तो दूर की बात है, उत्तर प्रदेश में ऐसे लाखो माँ-बाप हैं जो अपने बच्चों को तथाकथित अच्छे स्कूल में पढ़ा पाए और उनकी फीस दे पाए, इसलिए स्मार्टफोन की जगह नॉर्मल फोन से ही काम चलाते हैं। ऐसे में वो माता-पिता बच्चे के फीस की परवाह करे या उन बच्चो को अब स्मार्टफोन खरीद कर दे ! जहाँ कई राज्यों ने 2 महीने की फीस माफ़ कर दी हैं, वहीँ उत्तर प्रदेश की जनता सरकार से अभी तक इस निर्णय की आस ही लगाकर बैठी हैं। देश के अन्य हिस्सों की तरह उत्तर प्रदेश में भी ऐसे लाखो माँ-बाप हैं जो कोरोना के रूप में आई हुई इस आपदा से निपटने के लिए “लॉकडाउन”  का पालन कर रहे हैं, जिनकी न तो मासिक आय निश्चित हैं और ना ही वो बाहर जाकर कुछ कमा सकते हैं क्योकि उन्हें सरकार का सहयोग करते हुए इस कोरोना रूपी महामारी को हराना हैं। साधारण समय होता तो वो पिता दिन-रात मेहनत करके अपने बच्चो के लिए स्मार्टफोन भी ला देता ताकि उसके बच्चे स्कूलों द्वारा जारी इस तुगलगी फरमान के पालन करने से वंचित न रह जाए, लेकिन अभी समय कठिन हैं, वो खुद अपने परिवार के पालन में संघर्ष कर रहा हैं, दानवीरों की नजर में जरूरतमंद नहीं अब भिखारी बन चुका हैं, ऐसे में अगर उसके पास नार्मल फोन या फिर बमुश्किल एक ही स्मार्टफोन हैं और बच्चे एक से ज्यादा तो उसके लिए यह एक और समस्या का सामना करने जैसा हैं।


ऐसे में तथाकथित शिक्षा के मंदिर जो वस्तुतः अब धन उगाही केंद्र बन चुके हैं, उन्होंने निर्णय लिया हैं कि वो बच्चो को व्हाट्सएप्प पर ऑनलाइन पढ़ाएंगे ताकि फीस वसूलने में उनको कोई समस्या ना आये और वो कह सके कि हमने तो क्लास पूरी करायी हैं बच्चो की।


हकीकत ये हैं कि मार्च से स्कूलों में नए एडमिशन शुरू हो जाते थे, एक कक्षा के बच्चे दुसरे कक्षा में प्रवेश लेते थे तथा कुछ नवागुत विद्यार्थी भी प्रवेश लेते थे। पुरे अप्रैल और लगभग आधे मई तक स्कूल में प्रवेश का दौर चलता हैं , जिसमे स्कूल प्रबंधक से लेकर स्कूल का प्रत्येक कर्मचारी लगा होता हैं, इसमें क्या शिक्षक और क्या चपरासी। इस दौरान सबको टारगेट एक ही दिया गया होता हैं कि नए एडमिशन लेकर आओ।


पूरा अप्रैल और आधे मई तक स्कूलों में शिक्षा देने के नाम पर कोरम पूरा होता रहता हैं, कितने समझदार बच्चे तो इस दौरान स्कूल ही नहीं जाना चाहते क्योकि उनका साफ़ कहना होता हैं कि "जाके क्या करे जब क्लास चलती ही नहीं !" लेकिन स्कूलों को इस दौरान क्लास चलाने का ढोंग तो करना ही पड़ता हैं ताकि वो बच्चो से फीस वसूल करें।


ऐसे में कोरोना आपदा के कारण लॉकडाउन हो गया हैं, स्कूल ही बंद है तो क्लास कहा से चलेगी और जब क्लास ही नहीं चलेगी तो धन उगाही कैसे होगी ? तो धन उगाही केन्द्रो ने फीस वसूलने का एक नया तरीका निकाला हैं, ऑनलाइन पढाई। एक व्हाट्सएप्प कॉल पर 30 से 50 बच्चो की पढाई, जहाँ 30 मिनट की क्लास को 20 मिनट में निपटा दिया जाएगा, बच्चे को समझ में आए या ना आये, बच्चा कुछ पूछ भी नहीं सकता। लेकिन उससे इन स्कूलों को क्या फर्क पड़ता हैं ! उनको तो बस यह साबित करना हैं कि उन्होंने क्लास चलाया इसलिए उनको फीस चाहिए !


इसलिए मेरा उत्तर प्रदेश की सरकार के मुखिया और प्रदेश की जनता के संरक्षक आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी से आग्रह हैं कि कृपया बन्द करवाईये प्रदेश के स्कूलों की इस नौटंकी को जो महज फीस वसूलने के लिए की जा रही हैं।