सीधे प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता थे चंद्रशेखर : रवीश पाण्डेय



देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जन्म जयंती


सलेमपुर, देवरिया। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह यानी एक प्रखर वक्ता, लोकप्रिय राजनेता, विद्वान लेखक और बेबाक समीक्षक। जो देश के प्रधानमंत्री के रूप में आठ महीने से भी कम के कार्यकाल में रहे। यह 10 नवंबर, 1990 से 20 जून, 1991 तक पीएम के पद पर रहे।  इतने दिनों में ही उन्होंने नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता की ऐसी छाप छोड़ी जिसे आज भी याद किया जाता है। राष्ट्रीय मसलों और जनता के सवालों पर सरकारों का विरोध भी किया और आवश्यक सहयोग भी। आज उन्हीं बेबाकी बोल और खुले विचारों वाले नेता की जन्म जयंति लोगों द्वारा घर मे मनाई जा रही है,कारण कोरोना कर्फ्यू के चलते पूरे देश में आज लॉक डाउन है।


चंद्रशेखर सिंह का जन्म 17 अप्रैल 1927 ई०को बलिया जिले के इब्राहिम्पटी नामक गाँव मे हुआ था।और 8 जुलाई 2007 में इस दुनिया को अल्विदा कर गए। उनके नेक कर्मों और विचारों से आज भी उन्हे लोग याद करते हैं।


एक जुलाई को पैदा हुए और 8 जुलाई को चल बसे
 पूर्व प्रधानमंत्री बलिया के बाबू साहब जो कभी न तो राज्य में मंत्री रहे और न ही केंद्र में मंत्री बने बल्कि सीधे प्रधानमंत्री बने। 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए युवा चंद्रशेखर के तीखे तेवर थे। ये खुलकर बाते रखने वाले नेता थे।


*प्रधानमंत्री का कार्यकाल*


चंद्रशेखर सिंह सात महीनों तक प्रधानमंत्री भी बने थे, चरण सिंह के बाद वे दूसरे सबसे कम समय तक रहने वाले प्रधानमंत्री थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने डिफेन्स और होम अफेयर्स के कार्यों को भी संभाला था। उनकी सरकार में 1990-91 का खाड़ी युद्ध भी शामिल है। इतना ही नहीं बल्कि उनकी सरकार पूरा बजट भी पेश नही कर पायी थी क्योकि कांग्रेस ने उनका साथ देने से मना कर दिया था। 1991 की बसंत ऋतू में भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दूसरे चुनाव में हिस्सा लेने की ठानी थी। और इसके चलते 6 मार्च 1991 में ही चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।


*चंद्रशेखर का राजनीतिक जीवन*


स्नातकोत्तर करने के बाद चंद्रशेखर समाजवादी आन्दोलन से जुड़ गए। वह पहले बलिया के जिला प्रजा समाजवादी दल के सचिव बने और एक वर्ष के बाद राज्य स्तर पर इसके संयुक्त सचिव बन गए। वह 1962 में राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य पर तब आए जब उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चयनित हुए। इस समय तक चंद्रशेखर ने वंचितों और दलितों के कल्याण की पैरवी करते हुए उत्तर प्रदेश सहित कई प्रान्तों में अपनी प्रभावी पहचान बना ली थी। इस समय उनकी उम्र मात्र 35 वर्ष थी। चंद्रशेखर की एक विशेषता यह थी कि वह गम्भीर मुद्दों पर सिंह के समान गर्जना करते हुए बोलते थे। उनकी वाणी में इतनी शक्ति थी कि जब संसद मछली बाजार बन रहा होता था तो वहां पर सन्नाटा पसर जाता था। चंद्रशेखर को मुद्दों की राजनीति के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि विपक्षी नेताओं के साथ उनके मधुर सम्बन्ध रहे। विपक्ष के नेता गतिरोध की स्थिति में उनसे परामर्श और मार्गदर्शन प्राप्त करते थे।