श्रमजीवी वर्ग के महान क्रांतिकारी नेता और योग्य शिक्षक लेनिन का 150 वां जन्मदिन


आज 22 अप्रैल श्रमजीवी वर्ग के महान क्रांतिकारी नेता और योग्य शिक्षक लेनिन का 150 वां जन्मदिन है,जिनकी अगुवाई में महान अक्टूबर क्रांति हुई जिसने दुनिया को पूरी तरह बदल दिया। वही लेनिन जिन की जीवनी फांसी पर जाने से पहले शहीद ए आजम भगत सिंह पढ़ रहे थे। उन्होंने जेलर के पूछने पर कहा था कि एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से मिल रहा है। 


भगत सिंह ने क्रांतिकारी पार्टी के बारे में 2 फरवरी 1931 को "युवा राजनीतिक कार्यकर्ताओं के नाम" शीर्षक से जो अपील जारी की थी ,उसमें लिखा था कि "हमें ,लेनिन की परिभाषा में कहें तो पेशेवर क्रांतिकारियों ऐसे पूरा वक्ती कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होगी जिनके जीवन में क्रांति के अलावा और कोई महत्वाकांक्षा ना हो।" भगत सिंह और उनके साथियों के दस्तावेजों में दर्ज है कि 31 जनवरी 1930 को भगत सिंह और उनके साथी जो पेशी पर लाए गए थे। वह दिन लेनिन दिवस था । जैसे ही मजिस्ट्रेट के सामने उनकी पेशी हुई सब जोर-जोर से नारे लगाने लगे- सोशलिस्ट रिवॉल्यूशन जिंदाबाद, जनता जिंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और लेनिन तेरा नाम अमर है।


वहीं भगत सिंह ने एक तार पढ़कर भी सुनाया था जिसे वे मई कम्युनिस्ट इंटरनेशनल को भेजना चाहते थे।तार में लिखा था-"लेनिन दिवस पर हम उन सभी को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं भेज रहे हैं जो महान लेनिन के विचारों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं ।हम रूस में किए जा रहे महान प्रयोग की सफलता की कामना करते हैं ।पूंजीवाद मुर्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, समाजवाद जिंदाबाद।"


लेनिन को इसका श्रेय जाता है कि उन्होंने समान एवं मुफ्त शिक्षा ,समान एवं मुफ्त चिकित्सा ,सबको रोजगार उपलब्ध कराने वाले सोवियत संघ का निर्माण किया ,एक ऐसे राज्य का निर्माण जिसने दो करोड़ लोगों की कुर्बानी देकर भी हिटलर के फासीवाद से दुनिया को बचाया और पूंजीवादी समाज की वैश्विक महामंदी से मुक्त समाजवादी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया।


लेनिन ने रूसी क्रांति की पूर्व बेला में ही "साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था"जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक लिखकर पूंजीवाद के विकास में नई बातें को लक्षित करने का काम किया।इसमें उन्होंने साम्राज्यवाद के इस नए युग के कतिपय लक्षणों तथा विशेषताओं का उद्घाटन एवं विश्लेषण किया था, जैसे उत्पादन का संकेंद्रण और इजारेदारीओं की संख्या में वृद्धि ,पूंजी का निर्यात ,नई मंडियों तथा प्रभाव क्षेत्रों को हथियाने के लिए संघर्ष, आर्थिक संबंधों का अंतरराष्ट्रीय करण, पूंजीवाद की परजीविता तथा ह्रास, वर्ग संघर्ष में वृद्धि और समाजवाद की ओर संक्रमण की भौतिक पूर्व अवस्थाओं का निर्माण।


लूट पर आधारित औपनिवेशिक नीति को बेनकाब करने एवं दुनिया के बंटवारे तथा पुनर्विभाजन के लिए संघर्ष पर और साम्राज्यवादी आक्रामक युद्धों की तैयारी पर उन्होंने विशेष ध्यान दिया था।


लेनिन की इस पुस्तक और पार्टी निर्माण के उसूलों पर उनकी स्थापनाओं ने न सिर्फ दोनों विश्व युद्धों को समझना एवं अनेक क्रांतियों की सफलता को संभव बनाया बल्कि सोवियत संघ के पतन के बाद 1991 में डब्ल्यूटीओ और आईएमएफ की आर्थिक नवउपनिवेश की नीतियों के साम्राज्यवादी वर्चस्व को समझने और उससे मुक्ति की तलाश करने वालों के लिए आज भी सर्वाधिक प्रासंगिक ग्रंथ है।


आज के बहुत उलझाव से दीखने वाले दौर में भी बदलाव की आकांक्षा रखने वालों के लिए जरूरी है कि वे इस ग्रंथ को  पढ़ें और जिन्होंने पहले पढ़ा है वह इसे दोबारा पढ़ें।


सरदार भगत सिंह ने इतिहास में उनके योगदान एवं महत्व को  महसूस किया था। आज लेनिन और भगत सिंह के सपनों को पूरा करना, साम्राज्यवाद को पूंजीवाद के चरम अवस्था से मुक्त कराते हुए समाजवाद के निर्माण के कार्य को पूरा करना है और अंधराष्ट्रवाद के कलंक से मनुष्यता को मुक्त कराते हुए सर्वहारा अंतरराष्ट्रीयतावाद के झंडे को और ऊंचा उठाना है ।


आज वसुधैव कुटुंबकम के नारे को मूर्त करने के लिए मजबूती से इस नारे को बुलंद करना है कि "दुनिया के मजदूरों एक हो!"


डॉक्टर चतुरानन ओझा
समान शिक्षा आंदोलन उत्तर प्रदेश                          मोबाइल नंबर 9838797596