सिर्फ तब्‍लीगी ही जाहिल नहीं हैं :  डॉ. चतुरानन ओझा 


तबलीगियों ने अपनी आउटडेटेज विचारधारा और ज़ाहिलाना हरक़तों से हजारों लोगों के जीवन को संकट में डाल दिया। लेकिन आधुनिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी ज़ाहिल ही रह गए ये लोग उनके भी उस्ताद निकले। इन चार घटनाओं के विवरण देखिये, फिर विचार कीजिए -


(1) मुरैना के दुबई से लौटे एक व्यक्ति ने अपनी मां की तेरहवीं की, जिसमें 1500 लोग शामिल हुए। बाद में पता चला कि पति पत्नी दोनों कोरोना पॉजिटिव थे। अब 3000 घरों को निगरानी में रखा गया है, और कुल 26000 लोगों को संक्रमण का खतरा है।


(2) आगरा के एमबीबीएस डॉक्टर जिनका बेटा लंदन से वापस आया, उसने अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छुपाई। वह कोरोना पॉजिटिव था। एमबीबीएस पिता ने खुद ही बेटे का इलाज शुरू कर दिया। अपने ही हॉस्पिटल में इलाज करते-करते खुद भी यह डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हो गया। पुलिस प्रशासन ट्रैवल हिस्ट्री पता करते जब हॉस्पिटल पहुंचा, तब तक 125 मेडिकल स्टाफ को तो वे परेशानी में ला ही चुके थे। कितने ही लोग जो उनसे इलाज करा कर चले गए, वे खतरे में पड़े होंगे सो अलग, जिनका पता भी नहीं कि वे अब कहां होंगे। पिता पुत्र दोनों घबरा कर गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में एडमिट हो चुके थे। एफआईआर दर्ज की गई है। अस्पताल सील कर दिया गया है। स्टाफ को अंदर ही क्वॉरेंटाइन कर दिया है।


(3) तीसरा केस लखनऊ की महिला डॉक्टर का है। ये टोरंटो से वापिस आईं। प्रशासन को नहीं बताया। ढाई साल के बेटे को तो पॉजिटिव किया ही, साथ ही अपने सास-ससुर को भी पॉजिटिव कर लिया।


(4) चौथा केस इससे भी बड़ा और अजूबा है! जिन लोगों पर महाविपदा में जनता को संभालने की ज़िम्मेदारी थी, यानी मध्य प्रदेश का स्वास्थ विभाग... यह समूचा विभाग ही खतरे में आ गया। यहां की प्रिन्सिपल हेल्थ सेक्रेट्री ने अपनी विदेश की ट्रैवल हिस्ट्री छुपाई। लगातार ऑफिस में बैठ कर मीटिंग करती रही। स्वास्थ्य विभाग के तमाम बड़े अधिकारियों को उन्होंने कोरोना पॉजिटिव कर दिया।


अब मैं आप से पूछना चाहता हूं कि क्या उपरोक्त चारों मामलों में (जो कि वास्तव में हिन्दू ही हैं) आप यह मानते हैं कि चारों ने एक साज़िश के तहत ऐसा किया होगा या खुद कोरोना बम बने होंगे और कोरोना धर्मयुद्ध करके हज़ारों की जिंदगियों को खतरे में डाला होगा?
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अगर आपका जवाब 'हां' है, तो मैं मान लेता हूं कि जमातियों ने भी साजिश के तहत कोरोना फैलाया होगा!
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और अगर आपका जवाब 'नहीं' में है, प्लीज़ तो हिन्दू-मुस्लिम करना बंद कीजिए और देश पर रहम कीजिये। बहस और चर्चा सिर्फ़ इस विषय पर कीजिये कि जो हालात पैदा हुए हैं, उनसे किस तरह निपटा जाए और देश और इंसानियत को इस महाआपदा से किस तरह बचाया जाए!


-साभार अश्विनी शुक्ल