सोहर

भोजपुरी के श्रेष्ठ गायक प्रभाकर पाण्डेय के आग्रह पर पिछले तीन-चार दिन से एक सोहर लिखने की कोशिश रहा हूँ । उन्होंने कहा कि लड़कियों के लिए भोजपुरी में सोहर नहीं है या नहीं के बराबर है। इसे रचने की इच्छा की एक वज़ह 'लड़कियों के लिए सोहर न  होना' या 'न के बराबर होना' भी है । इसे लिखने के बाद गुनगुनाते हुए मैने पाया कि विषाद की कोई रेखा इसमें खिंची चली आ रही है । वह मिथिलापुरी के उस अकाल की है या सीता के जन्म लेने की दारुण कथा और जीवन की घटनाओं से संबंधित है ; या इन सबका मिलाजुला असर है। ठीक-ठीक कहना कठिन है।


हालांकि जैसे अश'आर लिखे नहीं, कहे जाते हैं। शायद सोहर भी मन में उतरती है। इस सोहर की सृष्टि मिथकों के वास्तविक-काल्पनिक संसार के लोकसांस्कृतिक-उपकरणों, वृत्तांतों से हुई है। शायद यह कहने की ज़रूरत नहीं।


१.बारह बरिसवा अकाल भइले
अवरो दुकाल भइले
अवरो दुकाल भइले हो
हे राजा जनक चलावेलें हरवा,                                    डोलावें अँचरवा, सुनैना महादेई हो।


२.एकहू हरइया ना जोताइल
हर अँझुराइल
हर अँझुराइल हो।
हे राजा फरवा से फूटेले किरनिया
अचम्भित रनिया, सुनैना महादेई हो।


३.राजा क मन अकुलाइल
देंहि धुरियाइल
फेंटा लसराइल हो 
हे राजा निहुरि उठावें घड़िलवा
उछाहें नयनवा, सुनैना महादेई हो।


४.सिय के रुदन सुनि पवलें 
कि मेघ मेड़रइलें 
आ मेघ मेड़रइलें न हो।
हे मिथिलादेस चुए ओरियनिया
कि बरिसत पनिया
त हरसति रनिया, सुनैना महादेई हो।


५. सिय सोहें नृप अँकवरिया
ऊ आँखि के पुतरिया
गगन के बिजुरिया न हो।
हे मिथिलेश लुटावें अन-धनवा
त गोधन गहनवा, सुनैना महादेई हो।


६.माई के धिया बिरमावेली
खने हरसावेली
खने सरसावेली हो।
हे राजा सीया के पीठि ले घुमाईं
त हँसेली ठठाई, सुनैना महादेई हो।


७.मुँहवा पे चमके चननिया
आ पाँव पैजनिया
आ पाँव पैजनिया न हो।
हे राजा अँखिया में दमके सुरुजवा
त हुलसे करेजवा, सुनैना महादेई हो।


८.सीता बहारेली अंगनवा
त खेलेली खेलनवा
आ खेलेली खेलनवा न हो।
हे राजा सिव के धनुष दिहली टारी
चकित महतारी, सुनैना महादेई हो।


९.राजा बिचारें अगमवा
त ठाऽनेलें पनवा
आ ठाऽनेलें पनवा न हो।
हे राजा संकर चाँप जे चढ़ाई 
ऊ सीय के बियाही
दुचित भइली माई, सुनैना महादेई हो।


१०.मिथिला नगरिया सुहावन
अनुपम पावन 
अनुपम पावन हो‌।
हे राजा 'नाथ धीरेन्दर' क बधइया
सोहर सुखदइया
हो जन-सुखदइया
उचारेली मइया
सुनैना महादेई हो।



*धीरेन्द्र नाथ*
एसोसिएट प्रोफेसर हिंदी
राजकीय महाविद्यालय,देहरादून