थॉमस एडिसन मशहूर वैज्ञानिक, 1000 से अधिक उत्पादों के जनक


थॉमस एडिसन (मशहूर वैज्ञानिक, 1000 से अधिक उत्पादों के जनक, इलेक्ट्रिक बल्ब के आविष्कार के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय) का जन्म 1847 में अमेरिका के ओहायो प्रान्त में हुआ था और मृत्यु 1931 में अमेरिका के न्यू जर्सी प्रांत में।

थॉमस अल्वा एडिसन प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे। एक दिन स्कूल में टीचर ने एडिसन को एक मुड़ा हुआ काग़ज़ दिया और कहा कि यह ले जाकर अपनी मां को दे देना। एडिसन घर आए और अपनी मां को वह काग़ज़ देते हुए कहा, ‘टीचर ने यह आपको देने को कहा है।’

मां ने वह काग़ज़ हाथ में लिया और पढ़ने लगी। पढ़ते-पढ़ते उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। 

एडिसन ने मां से पूछा, ‘‘इसमें क्या लिखा है मां? यह पढ़कर तुम रो क्यों रही हो?’’ 

आंसू पोंछते हुए मां ने कहा, ‘इसमें लिखा है कि आपका बेटा बहुत होशियार है और हमारा स्कूल नीचे स्तर का है। यहां अध्यापक भी बहुत शिक्षित नहीं हैं। इसलिए हम इसे नहीं पढ़ा सकते। इसे अब आप स्वयं शिक्षा दें।’

उस दिन के बाद से माँ ने एडिसन को कभी स्कूल नहीं भेजा। मां ख़ुद उन्हें पढ़ाने लगीं और उनके ही मार्गदर्शन में एडिसन पढ़ते रहे, सीखते रहे।

कई वर्षों बाद मां गुज़र गई मगर तब तक एडिसन प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन चुके थे और उन्होंने फोनोग्राफ व इलैक्ट्रिक बल्ब जैसे कई महान आविष्कार कर लिए थे। एक दिन फ़ुर्सत के क्षणों में वह अपनी पुरानी यादगार वस्तुओं को देख रहे थे। तभी उन्होंने अलमारी के एक कोने में एक पुराना ख़त देखा और उत्सुकतावश उसे खोलकर पढ़ने लगे। यह वही पत्र था जो बचपन में एडिसन के शिक्षक ने उन्हें दिया था। उन्हें याद था कि कैसे स्कूल में ही उन्हें अत्यधिक होशियार घोषित कर दिया गया था मगर पत्र पढ़कर एडिसन अचंभे में पड़ गए।

उस पत्र में लिखा था, ‘आपका बच्चा बौद्धिक तौर पर काफ़ी कमज़ोर है। इसलिए उसे अब स्कूल न भेजें।’ अचानक एडिसन की आंखों से आंसू झरने लगे। वह घंटों रोते रहे और फिर अपनी डायरी में लिखा, ‘एक महान मां ने बौद्धिक तौर पर काफ़ी कमज़ोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया।’

*आभार YQ Sahitya