घमवा में चलेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार ।
घमवा में चलेलें मजुरवा...
१.
जेठ दुपहरिया, भइल अन्हियरिया
पीठि पर लरिका बा सिर पे गठरिया
खुलल बा जम के दुआर ।
घमवा में चलेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार...
२.
अइलें जहजिया से ले के महामारी
बड़े-बड़े मनई, धनिक, ब्यौपारी
छापेलें कुल्हि अखबार ।
घमवा में चलेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार...
३.
हमरे लहू से लिखल संबिधनवा
समता, नेयाव के बान्हल बचनवा
कहँवा बा ऊहे नेयाव !
रहिया में पूछेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार...
४.
महल-दुमहला आ पुलवा बनवलीं
बगियन-बगियन फुलवा खिलवलीं ।
पिठिया उठवलीं पहाड़
हँसुआ चलवलीं कुदार
घमवा में मरेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार ...
५.
अन्न उगवलीं आ मिलिया चलवलीं
नगर-नगर के पहिया घुमवलीं
देखलीं मों सपना हज़ार ।
घमवा में जरेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार ...
.
६.
देहिं सिहराइल, गोड़ थहराइल
लरिकन के मुहँवा पियराइल ।
जिनगी परलि बा खभार
घमवा में चलेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार ....
७.
जेकरे हुनरवा हो जेकरे जँगरवा
चमके बजरिया, चलेला संसरवा
ओहि के दिहलऽ बिसार ।
घमवा में सोचेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार ....
८.
जेठ दुपहरिया, भइल अन्हियरिया
पीठि पर लरिका बा सिर पे गठरिया
खुलल बा जम के दुआर ।
घमवा में चलेलें मजुरवा
कहँवा बा सरकार...
Dhirendar Nath
१७/मई/२०२०