गोरखपुर जनपद के सभी प्राथमिक विद्यालयो मे औषधीय पौधे लगाये जायेगे, इनमें तुलसी, एलोवेरा, गिलोय, मुलेठी समेत 24 दुर्लभ किस्म के औषधीय पौधों को संरक्षित किया जाएगा। इससे पर्यावरण सरंक्षण में मदद तो मिलेगी ही, यह पौधे कोरोना के संक्रमण से बचाव में भी कारगर साबित होंगे। साथ ही संजीवनी वाटिका प्रदेश से लौटे कामगारों के लिए रोजगार सृजन का माध्यम भी बनेंगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत विकास खंड गोला से की गई है।
जिला प्रशासन की पहल पर गोला के ग्राम पंचायत चरडिय़ा, गंगवाल, पकड़ी व दुरुई प्राथमिक विद्यालयों में वाटिका स्थापित करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में जनपद के 20 विकास खंडों के 101 प्राथमिक विद्यालयों का चयन किया गया है। वाटिका को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी संबंधित विद्यालयों के अध्यापकों की होगी। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय से एमओयू किया जाएगा। गोला विकास खंड क्षेत्र में माडल के रूप में एक संजीवनी वाटिका का निर्माण कराया गया है।
तुलसी, एलोवेरा, जरंकुश, मुलेठी, गिलोय, नींबू, इलायची, करीपत्ता (मीठी नीम), हल्दी, अदरख, पुदीना, लेवेंडर, अश्वगंधा, पत्थरचट्टा, खस, हरङ्क्षसगार, स्टीविया, मेंथी, गेंदा, अजवाइन, हींग, मेहंदी, पिपरमिंट व सहजन। मुख्य विकास अधिकारी हर्षिता माथुर का कहना है कि हर तरह की बीमारियों से बचाव में यह औषधीय पौधे कारगर होंगे। बच्चों की सेहत सुधारने में भी इनका उपयोग किया जा सकेगा। वाटिका से ग्रामीणों की सेहत भी सुधरेगी और लोग औषधीय गुणों से युक्त इन पौधों को संरक्षित करने के लिए जागरूक होंगे।