मज़दूरों के महान नेता, क्रांतिकारी और दार्शनिक कार्ल मार्क्स की आज 202वीं जन्मतिथि है। पूंजीवादी व्यवस्था की लूट और शोषण का ऐतिहासिक वर्ग विश्लेषण करते हुए मार्क्स ने वैज्ञानिक समाजवाद की प्रस्थापना दी थी। मार्क्स ने पूँजीवादी व्यवस्था के बुनियादी अंतर्विरोध को पहचाना और दुनिया को यह बताया कि पूंजीवादी व्यवस्था मुठ्ठीभर अमीर पूंजीपतियों द्वारा गरीब मेहनतकश वर्ग का शोषण है। यह अनिवार्य रूप से आर्थिक गैरबराबरी को जन्म देगी। इस आर्थिक शोषण और गैर बराबरी के फलस्वरूप पूँजीवादी व्यवस्था लाइलाज आर्थिक संकटों के चक्र में फँसती रहेगी जो और बड़े पैमाने पर संपत्ति के संकेद्रण और बेरोजगारी-गरीबी को जन्म देती है। संकटों का यह चक्र पूंजी से रहित ऐसे वर्ग को जन्म दे रहा है जो इस व्यवस्था की ही नींव खोद देगा। इसका विकल्प इस व्यवस्था को खत्म करके न्याय और समानता पर आधारित मज़दूर वर्ग के राज्य की स्थापना ही है।
कार्ल मार्क्स ने दुनिया को द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का एक ऐसा दृष्टिकोण दिया जिससे वैज्ञानिक तरीके से दुनिया को समझा जा सके और फिर इसे बदला जा सके। मार्क्स खुद कहते थे कि दर्शन का काम केवल दुनिया को समझना नहीं बल्कि इसे बदलना भी है। मार्क्स जीवनपर्यंत मज़दूर आंदोलनों में सक्रिय रहे और इसी बीच अपने दोस्त फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ मिलकर 'पूँजी' और 'कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र' लिखा जो दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में से है। मार्क्स ने इन रचनाओं में सर्वहारा वर्ग की मुक्ति का रास्ता खींचा था।
सर्वहारा वर्ग के यह महान नेता आज दुनिया को बदलने में लगे हर इंसान के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
क्रांतिकारी अभिवादन