बिहार का गोपालगंज जिला सुर्खियों में है लगातार हो रही गैंगवार ने जिले को थर्रा दिया है . अब तो गोपालगंज के कारण बिहार की सियासत में भूचाल आ गया है . लेकिन सवाल उठता है की आखिर गोपालगंज जिले में ऐसा क्या हो रहा है की जिससे जिले की धरती रक्तरंजित होने लगी है ..आखिर वर्चस्व है तो किसके बीच और क्यों ? कई ऐसे सवाल है जो आज हर कोई जानना चाहता है . नब्बे के दशक में लालू प्रसाद और उनके परिवार के कारण सुर्खियों में रहने वाला गोपालगंज आखिर एके ४७ से निकली गोलियों से क्यों थर्रा रहा है? बहरहाल इन सवालो का जवाब तलाशने में कई जानकारियां मिली जो चौकानेवाली है .
बिहार के गोपालगंज की धरती वर्चस्व की लड़ाई में रक्तरंजीत होने लगी है. यहां जेडीयू के बाहुबली विधायक अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय तथा उनके बड़े भाई कुख्यात अपराधी रहे सतीश पांडेय को जिले में पहली बार किसी गैंगस्टर ने टक्कर दी है . जेल में बंद इस गैंगस्टर और सतीश पाण्डेय के परिवार के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है .इस दौरान पिछेल एक साल में जिले में एक दर्जन लोग मारे गए है . नब्बे के दशक से चले आ रहे है सतीश पाण्डेय की हुकूमत को टक्कर दिया है जिले के ही मीरगंज थाना के मटिहानी गाँव का रहने वाला विशाल सिंह कुशवाहा ने . विशाल सिंह के बारे में बताया जाता है की उसका कोई बहुत बड़ा और लम्बा आपराधिक इतिहास नहीं रहा है ..लेकिन सतीश पाण्डेय के सभी विरोधियो के साथ ने विशाल सिंह कुशवाहा को मजबूत बना दिया . २०१२ में मोटरसाइकिल चोरी के मामले में पहली बार अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले विशाल सिंह कुशवाहा की कहानी बॉलीवुड की फ़िल्मी पटकथा से कम भी नहीं है .
गोपालगंज के हथुआ थाने के नयागांव तुलसिया के रहनेवाले जेडीयू विधायक आमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडे के भाई सतीश पांडेय पिछले दो दशक से अपराध की दुनियां में हैं. सतीश पांडेय पर बिहार सरकार के मंत्री रहे बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में मुख्य अभियुक्त के अलावा कई नरसंहार और हत्याओं का मामला दर्ज है. हालांकि चार साल से जमानत पर बाहर हैं. सतीश पांडेय ने अपने वर्चस्व को गोपालगंज में स्थापित कर छोटे भाई अमरेंद्र कुमार उर्फ पप्पू पांडेय को विधायक बनाया. बेटे मुकेश पांडेय को जिला पर्षद अध्यक्ष की कुर्सी दिलायी. जिले में चलने वाले टेंडर वार में भी पाण्डेय भाइयो का सिक्का चलता है . लेकिन लम्बे अरसे तक कोई इस परिवार के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं करता था . लेकिन विशाल सिंह कुशवाहा ने टक्कर दी है तो इसके पीछे जिले में पाण्डेय परिवार की हुकूमत को तोड़ने में लगे जिले के ही एक अन्य कुशवाहा नेता सहित सतीश पाण्डेय के विरोधियो की सरपरस्ती हासिल है.
जिले के माधो मटिहानी गांव के रहनेवाले विशाल सिंह कुशवाहा ने 2012 से अपराध की दुनियां में बाइक की चोरी करने के बाद आया था. जेल से जमानत पर बाहर निकलने पर लूट, हत्या, रंगदारी की ताबड़तोड़ वारदात को अंजाम देकर कुछ ही दिनों में सुर्खियों में आ गया. जेडीयू विधायक के विरोधियों का समर्थन भी विशाल को मिलने लगा. विशाल हथुआ समेत गोपालगंज में विधायक के भाई सतीश पांडेय के वर्चस्व को समाप्त करने के लिए साल 2019 में व्यवसायियों से रंगदारी मांगनी शुरू कर दी. इस दौरान रंगदारी नहीं मिलने पर जेडीयू नेता उपेंद्र सिंह कुशवाहा सहित चार चर्चित कारोबारियों की हत्याएं कर दी. विशाल जेडीयू विधायक के साथ-साथ पुलिस के लिए भी सिर दर्द बन चुका था. २०१९ में जब एसपी के रूप में मनोज तिवारी की तैनाती हुई उसके बाद जिले में गैंग वार पर लगाम कसने के लिए ओपरेशन चलाया गया .विशाल सिंह जिले के बाहर रहकर अपना गिरोह चलाता था .वह आदेश देता था और उसके शूटर अंजाम देते थे . एसपी मनोज तिवारी ने गैंगवार को ख़त्म करने के लिए स्पेशल टीम बनाई जिसमे मुख्यालय से स्पेशल टास्क फ़ोर्स को भी लगाया गया . फूल प्रूफ एक्शन प्लान बनाया गया और ओपरेशन में एस टी ऍफ़ की मदद ली गई . यूपी-बिहार में ताबड़तोड़ छापेमारी की गयी. अंतत: स्पेशल टीम ने 26 अक्टूबर 2019 को विशाल सिंह और उसके चार सहयोगियों को देवरिया से गिरफ्तार कर लिया गया. इस बीच सतीश पाण्डेय गैंग के भी कई शूटरो की गिरफ़्तारी हुई. लगातार हो रही कार्रवाई में दोनों तरफ के दर्जनों शूटर गिरफ्तार किए गए। लेकिन विशाल की गिरफ़्तारी के बाद भी वर्चस्व लड़ाई ख़त्म तो नहीं हुई अलबता बढ़ जरुर गई . विशाल ने गिरफ्तारी के बाद जेल से ही संगठन खड़ा कर लिया और एक बार फिर विधायक के करीबियों की हत्या का सिलसिला शुरू हो गया. विशाल सिंह के साथ ही जेडीयू विधायक पप्पू पाण्डेय और उनके भाई सतीश पाण्डेय से जुड़े लोग भी मारे जाने लगे .इनमे शूटर के साथ साथ समर्थक भी थे . सूर्खियों में यह मामला तब आया जब हथुआ के रूपनचक में राजद नेता जेपी यादव सहित उसके परिवार के चार लोगों को गोलियों से छलनी कर दी गयी. जिसमें जेपी यादव के मां संकेशिया देवी, पिता महेश चौधरी और भाई शांतनु की मौत हो गयी. ट्रिपल मर्डर का आरोप घायल राजद नेता जेपी यादव ने जेडीयू विधायक, उनके भाई और भतीजा सहित अन्य लोगों पर लगाया. सूत्रों के अनुसार हमलावरों के निशाने पर आरजेडी नेता जेपी यादव थे.जो हमलावर आये थे उसने सबसे पहले जेपी यादव पर फायरिंग की लेकिन इसी दौरान जेपी यादव के पिता और भाई ने हमलावरों को पकड़ लिया था ,गोली की आवाज सुनकर गाँव वाले भी जुटने लगे जिसके कारण खुद को फंसता देख अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर भाग निकले इस दौरान हमलावरों की बाइक भी घटनास्थल पर ही छुट गई थी . जख्मी जेपी यादव ने इस घटना को लेकर जो एफआईआर दर्ज कराया उसमे सतीश पाण्डेय ,विधायक पप्पू पाण्डेय और भतीजा मुकेश पाण्डेय के खिलाफ आरोप लगाया . पुलिस ने जेडीयू विधायक के भाई सतीश पांडेय और भतीजा मुकेश पांडेय को जेल भेज चुकी है. फिलहाल विधायक भूमिगत हैं. जेपी यादव पर हुए हमले और सतीश पांडेय की गिरफ्तारी के बाद विशाल सिंह ने मौके का फायदा उठाया।
ट्रिपल मर्डर के 36 घंटे बाद बदला लेने के लिए विशाल सिंह का शूटर मनु तिवारी, परमेंद्र यादव और मुन्ना यादव ने फिर विधायक के फुफेरे भाई शशिकांत उर्फ मुन्ना तिवारी को हथुआ थाने के रेपुरा गांव में गोलियों से भूनकर हत्या कर डाली.इससे गैंगवार की जंग और भड़क गई है .सूत्र बताते है की मुन्ना तिवारी की हत्या को अंजाम देने वाला मनु तिवारी के भाई को सतीश पाण्डेय के लोगो ने कुछ दिन पहले ही काफी बर्बर तरीके से पिटाई किया था जिसमे उसका हाथ पैर भी तोड़ डाला था .इस घटना के बाद मनु तिवारी बदला लेना चाहता था और विशाल सिंह ने उसका इस्तेमाल किया .
दरअसल अगर हाल फिलहाल की घटनाओ को देखे तो रेपुरा में शशिकांत तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, रूपनचक ट्रिपल मर्डर में मां सनकेशिया देवी, पिता महेश चौधरी, बेटा शंतनु यादव, रेलवे के ठेकेदार शंभू मिश्र, मीरगंज में राजकुमार शर्मा,उपेंद्र सिंह कुश्वाहा, ज्ञनदेवपुरी, अनिल तिवारी,अरूण सिंह, महातम चौबे, भोला सिंह की हत्या हो चुकी है.
इससे पहले -बीते 10 मई 2020 को उचकागांव थाने बरवां मठ के पास विधायक के करीबी और कटेया थाने के बभनौली गांव रेलवे के एक बड़े ठेकेदार शंभू मिश्रा को गोलियों से भूनकर विशाल सिंह के गैंग ने हत्या कर दी थी .विशाल सिंह के गैंग ने २०१८ और २०१९ में सतीश पाण्डेय से जुड़े कई लोगो को मारा . जवाब में विशाल सिंह गैंग का सपोर्ट करने वाले लोगो को सतीश पाण्डेय गिरोह ने भी निशाना बनाया . रूपन चक में हुए नरसंहार के अलावा 13 जनवरी 2020 को मीरगंज में विशाल के सहयोगी अरुण सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. 11 जनवरी 2020 को मीरगंज में रेलवे स्टेशन पर सीवान के रामपुर गांव के कुख्यात राज कुमार की भी हत्या कर दी गई वह भी विशाल सिंह का शूटर था . 29 मई 2018 को उचकागांव थाने के बलेसरा में मुखिया महातम चौधरी सहित उनके परिवार के चार लोगों को गोलियों से भून दी गयी थी, जिसमें तीन की मौत हो गयी थी.इस घटना को भी गैंगवार ही माना गया था.भाई सतीश पाण्डेय और भतीजे के जेल जाने के बाद भी विधायक पप्पू पाण्डेय ताल ठोक रहे है . लेकिन अब बाहर की जंग जेल के गैंगवार की आशंका है। विशाल सिंह और सतीश पांडेय दोनो गोपालगंज जेल में है। हालांकि दोनों को अलग अलग रखा गया है लेकिन फिर भी जेल प्रशासन को अलर्ट रखा गया है। इस बीच गोपालगंज जिले की स्पेशल टीम दोनो गिरोहों से जुड़े शूटरों को तलाशने में लगी है।
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लालू - राबड़ी के गोपालगंज में क्यों भड़की गैंगवार की आग ?