माँ दुनिया का सबसे पवित्र शब्द है : अशोक पाण्डेय

*मातृ दिवस पर विशेष*

सलेमपुर, देवरिया। आज मातृ दिवस पर सम्मानित समाचार पत्र *गुरुकुल वाणी* के संवाददाता सांकृत्यायन रवीश पाण्डेय नगर के कुछ सामाजिक, राजनीतिक व शिक्षा के क्षेत्र में लंबे समय से अपना योगदान दे रहे लोगों से मिलकर उनकी राय जानना चाहा तो 1974 ई०से जनसंघ के जमाने से भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक पाण्डेय ने कहा कि माँ दुनिया का सबसे पवित्र शब्द है।माँ शब्द कान में पड़ते ही एक अदभुत स्नेह का संचार हो जाता है।मातृ शक्ति को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि जन्मदात्री माँ अपने संतान को जीवन पर्यंत स्नेह से सींचती रहती है उसके कर्ज को कभी भरा नही जा सकता।



रैनाथ ब्रह्मदेव महाविद्द्यालय सलेमपुर के प्रबंधक दीनदयाल मिश्र ने कहा कि माँ वह शब्द है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे  ज्यादा अहमियत रखता है। ईश्वर सभी जगह उपस्थित नहीं रह सकता इसीलिए उसने धरती पर मां का स्वरूप विकसित किया, जो हर परेशानी और हर मुश्किल की घड़ी में अपने बच्चों का साथ देती है, उन्हें दुनियां के हर गम से बचाती है। बच्चा जब जन्म लेता है तो सबसे पहले वह मां बोलना ही सीखता है। मां ही उसकी सबसे पहली दोस्त बनती है, जो उसके साथ खेलती भी है और उसे सही-गलत जैसी बातों से भी अवगत करवाती है। मां के रूप में बच्चे को निःस्वार्थ प्रेम और त्याग की प्राप्ति होती है तो, वहीं मां बनना किसी भी महिला को पूर्णता प्रदान करता है।



राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला प्रचारक प्रवीण जी कहा कि जन्मदायिनी माँ के लिए शब्द नही है जिससे उसकी वयाख्या की जा सके।माँ दुनिया में लाने के साथ-साथ दुनिया को दिखाने व दुनिया को समझने में बड़ी भूमिका का निर्वाह करती है।माँ ही वह है जो अपने पुत्र को दुनिया के सारे दुखों से बचाते हुए उसका पालन पोषण करती है।माँ वह शिक्षिका भी होती है जो अपने संतान को दुनिया के सभी अच्छे बुरे बातों से अवगत करती है।



इन्द्रहास पाण्डेय उर्फ पप्पू पाण्डेय ने कहा कि माँ स्वयं बड़ा से बड़ा कष्ट झेलकर अपने संतान को हर गम की छाया से बचाती है।माँ अपने स्नेह से सींचकर इस काबिल बनाती है कि हम दुनिया के किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकने के काबिल बनते हैं।



स्कॉलर्स पब्लिक स्कूल के निदेशक सुनील पाण्डेय ने कहा कि माँ  ही होती है वह जो अपने संतान को सबसे पहले संस्कार सिखाती है। माँ के लिए ऐसा कोई शब्द नही जिससे उसकी तुलना की जा सके माँ अतुलनीय है, उसके स्नेह-प्रेम को शब्दों की सीमा में नही बंधा जा सकता है। आज दुनिया वे सौभाग्यशाली हैं जिनको माँ का स्नेह-प्रेम, उसके आँचल का शीतल छांव मिल रहा है, और वे भी भाग्यशाली हैं जिनके हृदय में माँ की प्रतिमूर्ति बिराजमान है उनको भी माता का दुलार, प्रेम, शीतल स्नेह अदृश्य रूप में मिलता रहता है।
दुनिया के सभी माताओं को जो आज हमारे बीच हैं  उनको भी, और जो हमारे से दूर अंतरिक्ष में वास कर रहीं है उनको भी कोटि कोटि नमन करते हुए सदैव उनके स्नेहाशीष में जीवन के एक एक पल गुजारने की ईश्वर से सभी ने कामना की।