महिला सशक्तिकरण की नाकामयाबी के लिये खुद महिलायें ही हैं जिम्मेदार : डाक्टर गुन्‍जन



सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्राम सभा से लेकर लोकसभा तक आरक्षण का प्रावधान संविधान में बनाया हुआ है लेकिन देखा यह जा रहा है कि ज्यादातर ग्राम सभा में चुनी हुई महिलाएं अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पा रही है, जहां भी महिलाएं ग्राम प्रधान चुनी गई हैं उनके पति उनके पुत्र और उनके पिता उनके अधिकारों का हनन कर रहे और हम लोग एकजुट होकर यूपी महिला आयोग को ज्ञापन के माध्यम से बताएं कि महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों  की रक्षा महिला आयोग  करें, और उन्हें उनके दायित्वों को पालन करने के लिए खुली छूट दी जाए ताकि वह अपने विवेक का प्रयोग करें और जहां भी ओ चुनी गई हैं वहां के लोगों के विकास में भागीदार बन सकें ,जब कोई महिला  कर्मचारी/अधिकारी  नियुक्त कि जाती है तो उसकी जगह उसके पति पुत्र पिता नौकरी नहीं करते उसी तरह गांव में जो महिलाएं चुनी गई हैं उनके पति पुत्र और पिता का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है कि वे उनके अधिकारों का अतिक्रमण करे, देखा तो यह जा रहा है कि सारे सरकारी बैठकों में सरकारी कार्यक्रमों , यहां तक कि 26 जनवरी और 15 अगस्त के झंडा रोहण के अधिकार भी उनसे छीन लिए गए है, इन कार्यक्रमों में भी यही लोग उपस्थित होते हैं और उन चुने हुए महिलाओं को आगे आने से रोकते हैं और अधिकारी भी इसका संज्ञान नहीं लेते यह निहायत ही निंदनीय कार्य है और हम सबको मिलकर उनके अधिकारों के रक्षा करने में उनकी मदद करनी चाहिए और इसीलिए हम सब मिलकर एक साथ यूपी महिला आयोग को एक ज्ञापन दें ताकि महिला आयोग महिलाओं की रक्षा करें, इसके लिए किसी सबूत की भी जरूरत नहीं क्योंकि ग्राम सभाओं में हजारों चेक काटे जाते हैं किसी भी चेक का सिग्नेचर अगर उस महिला जनसेवक के सिग्नेचर से मिला लिया जाए तो कभी मेल नहीं खाएगा और लाखो रुपए ग्राम सभा के चुने हुए जनसेवक की जगह कोई और निकालता है इससे बड़ा घपला और घोटाला इस देश में कोई और हो भी नहीं सकता इसलिए हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप लोग आगे आए और हम सभी मिलकर अपनी माताएं बहनों के अधिकारोंऔर महिला सशक्तिकरण को एक नई दिशा देने में सहयोगी बने।