मजदूर दिवस पर श्रमिक बेबस व लाचार : सौरभ


श्रमिको को घर पहुंचाने व उनके रहने खाने की व्यस्था करे सरकार


मजदूर दिवस पर घर पहुंचने को  बेबस है

सलेमपुर, देवरिया। 1 मई दुनिया में मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।मजदूर वर्ग अपने अधिकारों के लिए दुनिया भर में समय समय पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे हैं। सरकारें इनकी मांगों को देखा अनदेखा करती रही हैं।उक्त बातें समाजसेवी सौरभ पाण्डेय उर्फ गोल्डेन ने कही। पाण्डेय ने कहा कि आज देश भर के अन्य प्रांतों में लॉक डाउन के चलते मजदूर बेरोजगार हो घर आने को बेबस हैं, लेकिन सरकारें उनके तरफ ध्यान नही दे रही हैं।जगह जगह से कुछ मजदूर पैदल अपने घर के लिए निकल पड़े हैं। रास्ते मे उन्हें भारी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। मजदूर वर्ग को उनके रोजगार सहित उन्हें घर तक पहुंचाने की उचित व्यवस्था करे सरकार यही मजदूर दिवस की सार्थकता होगी।


आज लॉक डाउन के चलते जहां एक तरफ इनके रोजगार छीन गए हैं वहीं दूसरे तरफ इनके सामने अपने परिवार को जिंदा रखने की चुनौती भी आ पड़ी है। ऐसे में सरकार से मांग करते हुए सौरभ पाण्डेय ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता मजदूरी करने वाले लोगो का होना चाहिए। उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था के साथ साथ दूर दराज के क्षेत्रों में फंसे लोगों को उनको उनके घर तक पहुंचना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।


सामंतवादी व पूंजीपति वर्ग द्वारा सदैव से शोषण का शिकार होता मजदूर आज अपनी हालात पर बेबस व लाचार दिख रहा है जिसकी सुध लेने वाला कोई नही।इनकी पीड़ा को समझने वाला आज कोई नही है। सबका पेट भरने वाला किसान मजदूर समाज की सेवा में लगे लोग आज उपेक्षित हैं। सरकार इनके हितों को ध्यान में रखते हुए ठोस कदम उठाए जिससे इनके हालात बेहतर हो सके यही मजदूर दिवस की प्रासंगिकता होगी। सौरभ पाण्डेय के साथ रितिक पाण्डेय,रजनीश पाण्डेय, अभिषेक पाण्डेय, शुभम पाण्डेय, सांकृत्यायन अवनीश पाण्डेय, मणि, कुंदन, चंदन, चंचल, बंटी, मुन्ना, दुर्गेश पाण्डेय आदि ने मजदूर दिवस पर मजदूरों के बेबसी व लाचारी पर अफसोस जताते हुए भारत की सरकार से मांग किये की इनके हालात को सुधारने हेतु कोई ठोस कदम उठाये।यही मजदूर दिवस की सच्ची सार्थकता होगी।


*सांकृत्यायन रवीश पाण्डेय*