मनरेगा एवम खाध्य सुरक्षा योजना मजदूरों की बनी संजीवनी-संजय गुप्ता


सलेमपुर,देवरिया। करोना महामारी के कारण पूरा विश्व आज संकट के दौर से गुजर रहा है।भारत में इस वायरस का कहर विदेशो से महानगरों तक होते हुए गावों की ओर तेजी से फैल रहा है। महानगरों से मजदूर अपना रोजी रोजगार छोड़ कर पैदल,ट्रेन,बासो द्वारा अपने गावों कि और आरहे हैं। स्थानीय मजदूर ,ठेला खोमचे वाले काम के अभाव में बेकार हैं केंद्र की मोदी एवम प्रदेश की योगी सरकार ने गांव के गरीब एवम मजदूरों को खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सरकारी राशन की दुकानों के माध्यम से अतरिक्त गेहूं,चावल एवम अन्य सामग्री दे रही है तथा महानगरों से आए मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से गावों मै रोजगार दे रही है और सरकार इन्हीं दोनों योजनाओं के कामयाबी का प्रचार कर रही है ये दोनों योजनाएं पूर्व प्रधान मंत्री एवम कांग्रेस नेता सरदार मनमोहन सिंह के कार्यकाल में बनी एवम लागू हुईं।खाद्य सुरक्षा योजना मनमोहन सिंह गरीब लोगो को गरिमा पूर्ण जीवन जीने के लिए काम मूल्य पर चावल गेहूं एवम अन्य सामग्री देने के लिए दस सितंबर 2013 को लागू किया।जिसकी सराहना विश्व खाद्य संगठन ने किया।मनरेगा की स्थापना मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 7सितंबर 2005में हुई। तथा 1अप्रैल 2008में भारत के सभी जिलों में गांव के गरीबों को त्वरित रोजगार दिलाने हेतु लागू हुआ।विडंबना यह है कि 2014 में संसद में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी ने कहा था कि मनरेगा कांग्रेस सरकार की नाकामियों का स्मारक है।वही मनरेगा आज महानगरों से आए मजदूरों के लिए संजीवनी बनी हुई है। उक्त बातें जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव संजय गुप्त ने कही साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवम उनकी सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा गरीबों,मजदूरों,बेरोजगारों केलिए योजनाएं बनाती रही है।