लाकडाउन ने जीवन शैली मे बदलाव करने के साथ मौसम ने भी करवट ले ली है ।चैत और वैशाख का महीना सावन -भादो की तरह हो गया। रोज़ तेज़ हवायें ,आँधी पानी ने मौसम को ठंडा करने के साथ सुहाना भी बना दिया है। सहारनपुर -लखनऊ -देवरिया तक हिल स्टेशन जैसे हो गये।इस वर्ष अप्रैल-मई मे चलने वालीपछुआ हवा और लू ग़ायब हो गये ।गरमी और लू से पानी का संकट और मरने की ख़बर बीती बात हो गई। तेज़ी से मौसम में बदलाव आया और तापमान 45-46 डिग्री से घटकर 34-35 डिग्री पर आ गया है। पंछियों और चिड़ियों की चहचहाअट सुनाई देने लगी है।आसमान मे तारे दिखाईदेने लगे हैं। फ़रवरी और मार्च में औसत 115 मि मी बारिस ने चकित करने के साथ गिरते जल स्तर को थामने की कोशिश की है ।रात में एसी की जगह पंखे फिर से काम करने लगे हैं।
कोविड -19 (कोरोना महामारी) के चलते पूरे विश्व के 100 से अधिक देशों में आवाजाही बन्द होने के कारण को प्रदूषण सिमित रह गया है। आसमान साफ़ हो गये है ।हवाओं में बहने वाले धूल कण (पारटिकिल्स) बन्द होने से सॉंस रोगियों की संख्या भी कम हुई है।
लोगों ने संयम के साथ जीना सीख लिया है। सन्तुलित उपभोग करने की हमारी संस्कृति अपने जीवन का हिस्सा बनने लगी है।
प्रात:उठना, 1 घंटे सुबह टहलना, घंटे भर व्यायाम और प्राणायाम ने और उसके बाद अमरूद और नीम के पत्ते के सेवन और गिलोय के काढ़े ने मेरा 5 किलो वज़न कम करने केब्लड प्रेसर की दवा 60 mg दवा का डोज़ 20mg प आ गयी है। पेट में गैस से परेशानी बन्द हो गई। सालों से रहने वाला नज़ला और ज़ुकाम जो अनेक दवाओं के लेने के बाद भी ठीक नहीं हुआ अब नियंत्रित हो गया है।
सन् 1977 के बाद विदेश यात्राओं को छोड़कर कभी 2 सप्ताह देवरिया और अपने क्षेत्र से बाहर नहीं रहा। सदैव वहाँ के दुख। -सुख का साथी रहा हूँ।
किन्तु लाकडाउन और उसके प्रोटोकॉल घर और आफिस से बाहर नहीं जाने के निर्देशों का पालन करने के कारण जीवन में पहली बार डेढं महीने से देवरिया और क्षेत्र में नहीं जा सका इसका कसक है।
हम सभी को कोरोना महमारी के वैश्विक विस्तार को रोकना अनिवार्य है। रास्ता मात्र एक है सोशल डिस्टेन्सिंग ( मेन्टल नहीं फ़िज़िकल) जिसे प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं “दोगज की दूरी।” फलत:लाकडाउन में अपने घर पर रहें और सुरक्षित रहें। अत्यावश्यक होने पर मुँह गमछे या मास्क लगाकर ही बाहर निकलें। बार-बार साबुन से हॉंथ धोकर कोरोना के वायरस संक्रमण से अपने, अपने परिवार ,गाँव तथा पूरी मानवता को बचाने में सहयोग दें।
कोरोना का संक्रमण लम्बा चलने का संकेत विश्व स्वास्थ्य संगठनऔर चिकित्सा विशेषज्ञ दे रहे हैं फलत: उसे समझें।सरकार के छूट देने का मतलब नहीं है कि हम लापरवाही कर अपना तथा अपने परिवार और शुभ चिन्तकों के प्राण जोखिमों डाल दें।