इस लॉकडाउन के दौरान मद्रास हाई कोर्ट ने जहां दो मामलों पर अपेक्षाकृत न्यायोचित रुख दिखाया है वहीं देश की सर्वोच्च अदालत ने उन्हीं मामलों पर उसके उलट रूख अपनाया है।
पहला मामला लॉकडाउन के दौरान शराब बिक्री करने का लेते हैं। देशभर में शराब बिक्री चालू करके जिस तरह लॉकडाउन के नियमों की धज्जी उड़ाई गयी है, वह सबके सामने है। सरकार के पैसे जुटाने और शराब व्यवसाय को बढ़ाने के इस कदम ने इस गीत को एकदम सही साबित किया है। तुम अपना कारोबार करो, मैं नशे में हूँ। दिल्ली में शराब की लाइनों में लोगों पर फूल छिड़कने का दृश्य दिखा। शराब से राजस्व की लूट में लगी सरकारों को यह नहीं दिखा कि इसका सामाजिक-मनोवैज्ञानिक असर क्या पड़ेगा। घरों में महिलाओं के और बच्चों के ऊपर हिंसा अचानक बढ़ गयी। गोरखपुर में शराब के कारण हुए झगड़े के कारण एक महिला 3 बच्चों के साथ आत्महत्या की। वहीं शराब पीकर गिरे एक युवक को कुत्ते नोच खाए। एक तरफ आमदनी पर रोक दूसरी तरफ घर मे ही रहना। ऐसे में शराब पीने को लेकर किसी घर की शांति कैसे रह पाएगी?
इस शराब बिक्री को चालू करने के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दाखिल हुई तो मद्रास हाई कोर्ट ने लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के कारण शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। परंतु मद्रास के व्यवसायी सुप्रीम कोर्ट गए जहां कोर्ट ने शराब बिक्री की अनुमति दे दी। वैसे इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के ज्यादातर निर्णय सरकार व बिज़नेस के हित में ही आ रहे हैं।
दूसरा मामला इस समय की सबसे त्रासदपूर्ण घटना प्रवासी मज़दूरों का उल्टा निर्वासन है। यह पलायन दिल दहला देने वाला है। हज़ारो किलोमीटर की यात्रा पर लोग पैदल, साईकल से, ट्रक-डीसीएम इत्यादि से अपने घरों की ओर चल पड़े हैं। जिनमें, गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बीमार लोग और लाखों की संख्या में युवा शामिल हैं। महाराष्ट्र में 16 मज़दूरों का ट्रेन से कटना, औरैया में एक्सीडेंट से 26 मजदूरों की दर्दनाक मौत सहित सैकड़ों लोगों की दुर्घटना में मौत हुई है। इसके अलावे बिना खाए -पीए चलते रहने के कारण बहुतों ने रास्ते मे जान गवाया है। इस मामले पर एक याचिका मद्रास हाई कोर्ट में पड़ी तो उसने कहा कि 'इन मज़दूरों की दुर्दशा देखकर आआँसू बहने से नहीं रोका जा सकता।" वहीं इसी मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई किसी को सड़क पर चलने से कैसे रोक सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए सुनवाई रद्द कर दिया। जबकि मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार सहित केंद्र सरकार से हजारों किलोमीटर सड़कों पर चल रहे प्रवासी मज़दूरों के संदर्भ में जवाब मांगा है। द न्यूज़ मिनट में छपी खबर के अनुसार मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा कि, "पिछले एक माह से मीडिया में छप रही खबरों में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को देखकर कोई आंसू बहने से नहीं रोक सकता। यह एक मानवीय त्रासदी है। जब मार्च, 2020 के अंत मे लॉकडाउन की घोषणा होते ही देशभर में लाखों लाख प्रवासी मज़दूर फंस गए। ज्यादातर मजदूरों की नौकरी खत्म हो गयी, आवास की सुविधा नहीं रही और समुचित भोजन की व्यवस्था भी नहीं रही। बहुत समय तक उन्होंने इंतजार किया। उसके बाद इन प्रवासी मजदूरों ने अपने गृह स्थानों की तरफ पैदल ही चलना शुरू कर दिया। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन्हें सभी अधिकारियों की तरफ से उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है।"
मद्रास हाइकोर्ट ने आगे कहा कि प्रवासी मजदूरों के गृह राज्य और जहां फंसे हैं दोनों राज्यों का दायित्व है कि वे उनके संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत मिले जीने के अधिकार को सुनिश्चित करें।
अंत में हाइकोर्ट ने केंद्र और राज्य से निम्नलिखित सवालों का जवाब मांगा है, जिसपर 22 मार्च को सुनवाई होगी।
1-राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में कितने प्रवासी मजदूर कार्यरत हैं, इसका आंकड़ा क्या भारत सरकार के पास है?
2-यदि हां तो पत्येक राज्य में कितने प्रवासी हैं और उनका गृहराज्य कौन सा है?
3-आज प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में कितने प्रवासी मजदूर फंसे हैं?
4-प्रवासी मजदूरों को कुल कितने प्रकार के सहयोग संबंधित राज्य व संघ सरकार द्वारा दिया जा रहा है?
5- क्या प्रवासी मजदूरों को राज्यो की सीमाएं पार करने दिया जा रहा हूं? यदि हां तो उनके खाने, ठहरने सहित बुनियादी सुविधाओं की क्या स्थिति है?
7-दिवंगत प्रवासियों के लिए राज्य क्या कर रहे हैं?
8-गृहवापसी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले प्रवासी के परिजनों को क्या क्षतिपूर्ति दी जा रही है?😢
9-पूरे देशभर में कितने प्रवासियों को कार्य राज्य/केंद्रशासित राज्य से बस या ट्रेन से उनके गृहराज्य वापस पहुँचाया गया है?
10-बचे हुए लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने की क्या योजना है?
11-कि क्या प्रवासियों के गृहराज्य जाने से कोविड-19के संक्रमण की संभावना है?
12-राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों को वहाँ पहुंच रहे प्रवासी मजदूरों की नौकरी, इत्यादि के संबन्ध में क्या निर्देश दिया गया है?