राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रेरणा ने राष्ट्रहित मे अलख जगाने पर किया जागरुक : रामभरत दूबे   



मझौली राज, देवरिया। आज  देश  मे  सबसे  बड़े  संगठन के रुप  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ  का  नाम  विश्व के  पटल  पर प्रचलित  है  उसी संघ के स्वयं सेवक की  भूमिका  मे  कार्य करने  की  प्रेरणा  के  साथ  तहसील  व  जिला  कार्यवाह  के पद  पर  अपनी  भूमिका  से  समाज  व  देश के  लिये अपना जीवन संघ  समर्पित  करने के  साथ  आज  भी  निष्ठा  की भावना  के साथ  कार्य  योजना  पर लगे  रहते हैं  आज उनके द्वारा  किये  गये  समर्पण  को  गुरुकुल  वाणी  से  शिवाकांत तिवारी  द्वारा लेख  के  माध्यम  से  रामभरत  दूबे  का  जीवन परिचय  से  समाज को  अवगत  कराने  का  प्रयास  कर  रहे है  राम  भरत  दूबे जो मझौंली राज मे निवास करते हैं जब उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड  एक  मे  था  उस  वक्त  15 मई 1988 मे  17 वर्ष  की  सेवा  एयर फोर्स  मे  ट्रेड  एयर पुलिश से  कर  के 41 विंग  मे  सारजेंट  से  अवकास  प्राप्त  किये। 


संघ की  विचार धारा से  ओत-प्रोत  होकर 1991 मे अवकास प्राप्त  सैनिक  का  निर्माण  किये  जिसका आफिस  उस वक्त डिफेंश  कालोनी  देहरादून  रहा  ईस  संगठन  के  भूवनचन्द खण्डूरी  जी  प्रदेश अध्यक्ष  बनाये  गये। उत्तराखण्ड  प्रदेश बनने  के बाद  पूर्व  सैनिक सेवा  परिषद  14-12-2000 को पुँह  गठन कर  उत्तर प्रदेश  बना  जिसका  कार्यक्षेत्र  भारत हो  गया  जिसके  वर्तमान  प्रदेश संगठन मंत्री  राम  भरत दूबे जी  है। उनके  द्वारा  कई  सैनिक  सम्मेलन   कराये  गये  जो राष्ट्र  हित  को  ध्यान  मे  रख कर  किया गया। आजाद  हिन्द फौंज  पूनरर्निर्माण अंतराष्ट्रीय के  लिये कार्य  योजना बनाकर समाज  को  नेताजी सुभाष चन्द बोष  के  प्रति कई कार्यक्रम को  किये  जो  देश भक्ती  का  प्रतीक रहा है  सैनिक  परीवार न्यास  कल्याण मे  न्यासी  का   कार्य  करने का  अवसर मिला  4 अक्टूबर 2015  मे  रक्षा  श्री  मनोहर  पर्रिकर ने बड़ताल धाम  मे  आनन्द  धाम  मे  सैनिक  कल्याण  पर  सैनिक  सम्मान के जीवन  की  धार  से  सहयोग  के  लिये सम्मानित  किया।  ये  परीवार  संघ  के  लिये  सदैव  समर्पित रहता है।  अपने  परीवार  को  ईस  देशहित  मे  सहयोग  हेतु अपने  भतिजे  वेदसागर  दूबे  को  आगे  लाकर  संघ  के कार्यो  के  लिये  जोड़  दिया है  रामभरत  दूबे  जी  का जीवन भी  समान्य  है  उन्होने  राम  मंदिर  आंदोलन  मे भी सहभगिता  दिया है।  ईस  परीवार से  आज  भी  समाज  के लोग  जीवन  शैली  योग  की  शिक्षा  प्राप्त  करते है।