सलेमपुर, देवरिया। भारत सरकार ने कोरोना महामारी का दंश झेल रहे लोगों के लिए जिस पैकेज की घोषणा की है वह ठगी,लूट व गुलामी के नए दौर को परिभषित करती है।सरकार ने बीस लाख करोड़ रुपये के एक बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दी साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी घोषणा की।सरकार ने कोरोना संकट से देश को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के एक बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। पैकेज में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 4 एल की भी धोषणा की। आइए सरकार की इस घोषणा को सही से समझें।सरकार ने जब 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की तो साथ में बताया गया कि पूर्व घोषित आर्थिक पैकेज और रिजर्व बैंक द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज भी इसमें शामिल हैं।
*अब इस ठगी को समझिए-*
1- केंद्र द्वारा घोषित पहला पैकेज 15 हजार करोड़ था।
2 - केंद्र द्वारा घोषित दूसरा आर्थिक पैकेज 1लाख 70 हजार करोड़ का था।
3 - आरबीआई ने बाजार में लिक्विडिटी (तरलता) बढ़ाने के लिए बैंकों को 8 लाख करोड़ पहले ही दे दिया है।
4 - आरबीआई ने म्युचअल फंड के लिए 50 हजार करोड़ का पैकेज पहले ही दे दिया है।
5 - निर्माण मजदूरों के लिए गठित कल्याण कोष और जिला प्लान का कुछ हिस्सा इस पैकेज में पहले ही जोड़ा जा चुका है।
इस तरह देखें तो लगभग 11 लाख करोड़ की रकम तो आज घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज में से पहले ही घोषित की जा चुकी है।
अब बाकी बची 9 लाख करोड़ रुपए का भी बड़ा हिस्सा कारपोरेट कम्पनियों, लघु व मध्यम उद्योगों के पास चला जाएगा।
सरकार द्वारा यह नहीं बताया गया कि भारत के उन 20 करोड़ लोगों को जिनको डेढ़ माह से वेतन/स्वरोजगार नहीं मिला है, जिनके परिवार भूख का सामना कर रहे हैं, उनके लिए इस पैकेज में देश के लिए त्याग करने की लफ्फाजी के अलावा और क्या है?
सरकार द्वारा यह भी नहीं बताया गया कि देश भर में सड़कों/पटरियों पर भूखे पैदल लौट रहे लाखों प्रवासी मजदूरों और रास्ते में भूख व दुर्घटना से दम तोड़ चुके मजदूरों के सरकार क्या करने जा रही है?
सरकार द्वारा ने यह भी नहीं बताया कि कोरोना संकट का मुकाबला कर रहे हमारे जीर्ण हो चुके सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था को भविष्य की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सरकार कितना निवेश करने जा रही है?
अब रही बात 4 एल पैकेज की। लेंड (जमीन), लेबर (मजदूर), लिक्विडिटी (तरलता), और लॉ (कानून)सरकार के पैकेज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यानी अब कोरोना संकट के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की आड़ में
1 - लैंड - कारपोरेट कंपनियों और उद्योगपतियों के लिए देश के किसानों की जमीनों का बड़े पैमाने पर फिर अधिग्रहण होगा।
2 - लेबर - उद्योग पतियों के लिए सस्ते और अधिकार विहीन श्रमिकों की आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
3 - लिक्विडिटी - उद्योगपतियों को पूंजी दिलाने के लिए लिक्विडिटी (तरलता) के नाम पर बैंकों के जरिये ज्यादा पूंजी की व्यवस्था की जाएगी।
4 - लॉ - मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकार, न्यूनतम वेतन अधिकार, काम के घंटे, फैक्ट्री कानून आदि सब को बदल कर मजदूर वर्ग के लिए कानूनन गुलामी की बाध्यता लागू की जाएगी।
किसानों की जमीन की कारपोरेट लूट को बढ़ाने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून बदले जाएंगे।
सप्लाई चेन को ठीक करने के नाम पर फसलों की खरीद और भंडारण को पूरी तरह निजी क्षेत्र को सौंप जाएगा।
रिटेल क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय और कारपोरेट कंपनियों का बड़े पैमाने पर प्रवेश होगा।
नागरिक अधिकार और मौलिक अधिकारों की परिभाषा कानून में बदली जाएगी।
सत्ता और कारपोरेट के विरोध की हर लोकतांत्रिक आवाज को कानूनन देश द्रोही करार दिया जाएगा।
इस तरह कोरोना के बाद देश में गुलामी के एक नए दौर की शुरुआत होगी, जहां करोड़ों लोगों को उसके नागरिक होने के अधिकार से भी वंचित करने की तैयारी है।
_सांकृत्यायन रवीश पाण्डेय_