सरकार के एक गलत फैसले के कारण सारे अच्छे काम पे पानी फेर दिया : सोनू तिवारी


45 दिन बिना शराब पीये ही जनता ने बता दिया कि हम जी सकते हैं बिना शराब के लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार बिना शराब बेचे जी नहीं सकती है बड़े-बड़े लोगों को चाटुकार इनको दारु पीने को नहीं मिल रहा था इसलिए दारु की दुकान खुलवाना जरूरी था। सुनार और बर्तन की दुकान भी खुलवा दीजिए साहब ताकि गरीब लोग घर के बर्तन और गहने बेचकर दारू पी सकें। जिससे आपकी काफी हद तक अर्थव्यवस्था बढ़ जाएगी और इसी बड़े हुए अर्थव्यवस्था से आप मंत्रियों विधायकों की सैलरी और भत्ता दे सकें। हम कलयुग के उस भयंकर दौर से गुजर रहे हैं । जहां मंदिर और मस्जिद बंद हैं। और हमारा मधुशाला शराब की दुकान खोलने का आदेश दिया जाता है। मध्यम वर्ग के लोग सबसे ज्यादा परेशान है उनको पूछने वाला कोई नहीं ? ना कहीं मांग सकते हैं ना लाइन लगा सकते हैं इस पर सरकार का कहीं भी ध्यान नहीं ? अगर आज किसी जरूरत की चीज किसी को कॉपी किताब खरीदना हो उसकी दुकान बंद है अगर किसी को अंडरवियर और बनियान की जरूरत हो वह भी नहीं मिल सकता लेकिन दारु की दुकान खोल दी गई दारू भरपूर मात्रा में मिल सकती  है । सिर्फ अर्थव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए यही रामराज्य है अगर ऐसा रामराज है तो बेकार मैं इसकी घोर निंदा करता हूं क्योंकि समाज में बहुत ही बुराई है इसकी क्या जरूरत थी??????????????    2 महीने बाद शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकती थी ? और दुकानें खोल दीजिए क्या इसमें लाकडाउन का उल्लंघन नहीं हुआ ईतने दिन लाकडाउन का पालन करा करके उस  लाकडाउन की धज्जियां उड़ा दिया गया क्या मतलब है 45दिनों से हम लोग घरों में कैद हैं कैद ही रहने दिए होते क्या जरूरत थी शराबियों को रोड पर खड़ा करने की क्या अब करोना नहीं होगा क्या अब लाकडाउन का उल्लंघन नहीं हुआ सारे हॉस्पिटल बंद कर दिए ओपीडी बंद कर दी क्या देश में और मरीज नहीं है किसी को कैंसर है कोई किसी रोग से पीड़ित है यह सब कहां गए इन सब का कोई इलाज नहीं है क्यों केवल करोना ही रह गया है अब देश में सारी बीमारियों का अंत हो गया क्या सरकार है ???? केवल करोना ही बचा है बाकी बीमारियां कहा चली गई?????????
               क्या आप लोगो पता है कि सारी बीमारियां कहां गायब हो गई केवल इस करोना के आगे?? आज अगर पूरा विश्व न्यूज़ देख रहा होगा तो यही सोच रहा होगा कि भारत में दारू के लिए सड़कों पर हजारों लाखों की भीड़ इकट्ठा हो गई केवल दारु पीने के लिए????
                   क्या सरकार को यह तो डर नहीं था कि कहीं दारु पीने वालों की लत तो नहीं छूट जाएगी क्या इस डर के नाते दारु की दुकान तो नहीं खोलवा दिए ?🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🙏🙏