भारतीय भोजन में अब नहीं रही 30 साल पहले जैसी ताकत : डा अरविन्‍द सहाय


जैविक की जगह केमिकल खेती से हो रहा है नुकसान 


सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के नेता  डा o अरविंद सहाय कुशवाहा ने  बताया कि
भारतीय भोजन में अब वो दम नहीं रहा, जो आज से 30 साल पहले हुआ करता था। अनाज, दाल, फल और सब्जियों में प्रोटीन, कार्बोहाइडे्रट और आयरन की मात्रा लगातार कम हो रही है। हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन द्वारा जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले 30 सालों में मिट्टी के पोषक तत्व कम हुए हैं, जिसका असर हमारे खाने की चीजों पर पड़ा है।


नेशनल इंस्टीट्यट ऑफ न्यूट्रिशन ने शोध के लिए 528 खाद्यों में 151 पोषक तत्वों का विश्लेषण किया है। इसके लिए देश के छह अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों से नमूने लिए गए और 1979 में इन पदार्थों में पाए जाने वाले न्यूट्रिशन से तुलना की गई। रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इसमें यह पाया गया कि खाद्यान्न एवं फल, सब्जियों में लगातार पोषक तत्व कम हो रहे हैं।


विशेषज्ञ बोले- बदलाव का भोग रहे परिणाम
कृषि विभाग के सेवानिवृत्त संचालक जीएस कौशल के अनुसार कृषि पद्धति में आए बदलाव और जैविक की जगह कैमिकलयुक्त खेती की ओर जाने के कारण ये परिवर्तन हुए हैं। कौशल के अनुसार फसलों को 16 से 17 तत्वों की आवश्यकता होती है। 1965 के पहले तक कृषि गौ-आधारित थी।


गोबर और गोमूत्र की जैविक खाद इस तरह के तत्वों की भरपाई कर देती थी। अकेले गो-मूत्र में ही 35 प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, लेकिन जब से तथाकथित हरितक्रांति आई है, कैमिकल का उपयोग बढ़ा है। इसने मिट्टी की उर्वरता को छीन लिया है।


एक मानक के अनुसार पहले एक किलो नाइट्रोजन का उपयोग करने पर 15 किलो खाद्यान्न पैदा होता था, लेकिन आज 5 किलो नाइट्रोजन पर 15 किलो खाद्यान्न मिलता है


मिट्टी में ही कम हो रही गुणवत्ता
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भारतीय मिट्टी में ही पोषक तत्वों की कमी हो रही है। इससे इसमें उगने वाले अनाज, सब्जी और फलों में पोषक तत्वों की कमी आ रही है।v