सितम्बर तक काफी कम हो जाएगा असर
गोरखपुर भारत में लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद कोरोना वायरस का ग्राफ काफी तेजी से ऊपर गया है. हालांकि सितंबर के मध्य तक इसकी रफ्तार में कमी देखी जा सकती है. यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने एक मैथेमेटिकल विश्लेषण की तर्ज पर ऐसा अनुमान लगाया है.
यह शोध ऑनलाइन जर्नल एपिडेमियोलॉजी इंटरनेशनल मे प्रकाशित हुआ है.
हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि इस पड़ाव को पार करने के लिए केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर पर साक्ष्यों पर आधारित फैसले लेने की जरूरत होगी. यहां तक पहुंचने के लिए मैथेमेटिकल मॉडलिंग टूल काफी महत्वपूर्ण हो सकता है
स्टडी में कहा गया है कि वायरस के संचरण (ट्रांसमिशन) में थोड़ा बहुत फर्क जरूर पड़ा है. इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने बैली रिलेटिव रिमूवल रेट (बीएमआरआरआर) यानी बैली मॉडल का उपयोग किया. इस दौरान भारत में 1 मई से 19 मई तक सामने आए मामलों की जांच की गई.
यह स्टडी एक ऐसे वक्त में सामने आई है जब कोरोना संक्रमितों की संख्या बीमारी से रिकवर होने वाले मरीजों के लगभग बराबर है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह महामारी 100 फीसदी समाप्त होने की दहलीज तक पहुंचेगी.
रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कम्यूनिटी लेवल पर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की जरूरत को महसूस किया है, जिनमें बफर जोन और कंटेनमेंट जोन भी शामिल हैं. इस शोध ने संकेत दिया कि प्राकृतिक आपदा, घनी आबादी और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का इस मॉडल पर महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है.
भारत में अब तक 1 लाख 20हजार से ज्यादा मरीज रिकवर होकर लौट चुके हैं. अब तक 24 घंटे में सबसे ज्यादा 10000 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, जिनमें से 287 मौतें हुई हैं
यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के आंकड़ों बताते हैं कि भारत में कोरोना मरीजों की संख्या 2 लाख 56हजार के पार है जिनमें से 1 लाख 24हजार से ज्यादा केस अभी भी एक्टिव हैं. इनमें से 7हजार 148से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
स्टडी में यह भी बताया गया है कि भारत में यह महामारी 2 मार्च से शुरू हुई थी. इसके बाद यहां कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ते चले गए. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मैथेमैटिकल मॉडल बीमारी फैलने से लेकर क्लिनिक केयर, रिकवरी रेट, इलाज के प्रभाव और भविष्य में आने वाली वैक्सीन जैसे कारकों पर आधारित है.।