तमाम संघर्षों में भाग लेने वो इटली से अमेरिका तक भी जाते रहे… थाईलैण्ड के संघर्षों में तो उनकी प्रमुख भूमिका रही है…
ग़रीबी और अभावग्रस्त जीवन होने के कारण उन्हें तमाम बार ग़रीबों, दलितों की झोपड़ियों में जाकर खाना माँगकर भी खाना पड़ा…
उनके फटे कुर्ते की जेब भी अक़्सर फटी रहती थी…
नोटबन्दी से संघर्ष के दौरान उन्हें हज़ार दो-हज़ार रुपये के लिए भी ATM की भीड़ में धक्कामुक्की झेलनी पड़ती थी..
उनके द्वारा सभी देशवासियों को भइय्या सम्बोधित करने के कारण अस्सी-नब्बे साल के बुज़ुर्ग भी ख़ुद को युवा महसूस करते हैं…
सन 2004 में अपने इंग्लैण्ड सत्संग के दौरान वेनेजुएला निवासिनी एक स्पेनिश आर्किटेक्ट उनकी शिष्या बनी…
उनके शिष्यों के क्रांतिकारी दार्शनिक विचारों से इण्डियन जनमानस में कई बार रिक्टर स्केल पर 9 तक के भूचाल आते रहे हैं…
उनका दर्शन है कि कांग्रेस एक सोच है जो 3000 साल पुरानी है…
भारतीय इतिहास, अध्यात्म, दर्शन, धर्म पर उनकी पकड़ और ज्ञान अद्वितीय है… उनके इसी दर्शन के आधार पर मनमोहन सरकार ने पुरातत्व विभाग से उन्नाव में ख़ुदाई तक करवा डाली…
मोदी सरकार का स्वच्छता अभियान उन्हीं के एक विचार से प्रभावित है - जहाँ सोच वहीं शौचालय…
समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र पर उनका ज्ञान कौटिल्य के समकक्ष है… खेत की बजाय आलू बनाने वाली फ़ैक्टरी और आलू डालकर सोना निकालने वाली मशीनों की उनकी थ्योरी से विज्ञान जगत में हलचल मच गई…
सुना है कि भौतिक शास्त्र के नॉबेल पुरस्कार से उन्हें महज़ एक ग़रीब भारतीय होने के कारण वंचित कर दिया गया… खेती-किसानी और ग़रीबी की रेखा के नीचे वाले अंत्योदय फार्म हाउस उन्हें विरासत में मिले... उनके माननीय इकलौते भगिनी-वर भी देश के सबसे ग़रीब भूमिहीन किसानों में हैं...
राहुल जी को गुड़ की खेती जैसी विस्मयकारी कलाएं अपने पिता से विरासत में मिलीं...
अब उनका अपनी किसानी में कटहल की बेल और पुदीने के विशाल वृक्षों पर शोध जारी है.. खाट पर चर्चा और गब्बर सिंह टैक्स जैसी अद्वितीय इज़ादों से वो देश के जनमानस पर छा गए…
राहुल जी जनेऊधारी कट्टर कर्मकाण्डी दरिद्र हिन्दू ब्राह्मण हैं…
वो कान पर जनेऊ चढ़ाए बिना संसद के शौचालय में भी नहीं प्रवेश करते... उन्होंने इटली में रोमा देवी और थाईलैण्ड में थाई नाथ की घोर तपस्या की है... 4 वर्ष पहिले जब असम में सुबह मंदिर जाते समय किसी महिला ने उनको रोका-टोका तो उसे और असम की जनता को उन्होंने श्राप दे दिया… श्राप के परिणामस्वरूप असम की जनता आज भाजपा का कुशासन झेलने को मज़बूर है… ज्योतिष का प्रकाण्ड ज्ञानी होने के कारण शुभ दिन बीतते ही खरमास के पहले दिन उन्होंने अध्यक्ष पद जैसा हलाहल पिया... राहुल जी भी ब्राह्मण रावण की ही तरह परम शिवभक्त हैं… अपने गुजरातमेध यज्ञ के दौरान वो नियमित रूप से बीसियों मंदिरों में जाकर नियमित कर्मकाण्ड करते रहे…
कैलाश-मानसरोवर यात्रा के उपरांत उस यात्रा का अत्यंत ही विशद वर्णन महाप्रभु ने कार्यक्रम में किया जिस पर कई महाकाव्य रचे जा सकते हैं ।
राहुल जी का संसद की बहसों में भी अपना एक कीर्तिमान है… तमाम बार जब वह संसद में बैठकर राष्ट्र चिंतन करते थे तो विपक्षी उनसे जलते हुए उन पर संसद में सोने का आरोप लगाते रहे हैं… अपने कार्यों को तुरंत निपटाने के वो सैद्धांतिक प्रतिबद्ध रहे हैं… एक बार तो इसी सिद्धान्त के तहत उन्होंने मंत्री के हाथ से छीनकर प्रस्तावित बिल फाड़कर तुरन्त निपटारा कर डाला था… एक हिन्दू और ब्राह्मण होने के नाते हमें उनपर मीट्रिक टनों गर्व है… हमें उम्मीद है कि इस भारत को उनके रूप में एक कुशल, ज्ञानी, अनुभवी, प्रतापी, जुझारू, सदैव-संघर्षलीन नेतृत्व मिलेगा जो भारत को दुनिया से भी बाहर ले जाकर तीनों लोकों में अपनी कीर्ति स्थापित करेगा ।