नन्ही गुड़िया : बीना मिश्रा


गुड़िया के समान छोटी,कोमल सी बच्ची जो स्वभाव से बहुत चंचल थी।माँ की लाड़ली सम्पन्न घर से थी।दुर्भागय से गुड़िया की माँ उसका साथ छोड़कर स्वर्गलोक वासी हो गयीं। न समझ गुड़िया जैसे तैसे कुछ बड़ी हुई। गुड़िया के पिता ने दूसरी शादी कर ली।अब गुड़िया को दूसरी माँ मिल गयी थी।कुछ ही दिनों बाद उसकी  सौतेली मां गुड़िया को बहुत यातना देने लगी।उस समय गुड़िया की उम्र मात्र 9 साल थी।गुड्डे गुड़ियों से खेलने वाली गुड़िया को सौतेली माँ ने पढ़ाने के स्थान पर उसे काम में झोंक दिया। गुड़िया की वास्तविक माँ जब थी तो घर मेंचार-चार नौकर थे।गुड़िया की सौतेली माँ ने सर्वप्रथम घर के सभी नौकरों को हटा दिया।गुड़िया के पिता सौतेली माँ के सामने बेबस थे।चाहते हुए भी गुड़िया के लिए कुछ कर नही पा रहे थे।किसी तरह जीवन की गाड़ी चलने लगी।समय बीतता गया और गुड़िया 13 साल की हो गई। एक दिन गुड़िया के ममेरे भाई आए और उसे अपने साथ लेकर नानी जी से मिलाने अपने घर ले गये।गुड़िया मन ही मन खुश थी और सोचा रही थी कि चलो जेल से छुट्टी मिली।लेकिन ऐसा नही हुआ। वहां भी उसकी किस्मत ने साथ नहीं दिया।सुन्दर सी सपने पालने वाली गुड़िया को क्या पता कि उसके और दुर्दिन आने वाले है।गुड़िया के एक मामी और एक विधवा  मासी थी दोनों ने मिलकर गुड़िया की शादी के लिए एक साजिश रची।गुड़िया की बिना बताये एक दिन एक 17 साल के लड़के को बुलाया।उसके  सामने गुड़िया को बुलाकर लड़के की और मुखातिव होते हुए बोले कि देखो यही लड़की है।गुड़िया की मामी और मासी ने लड़के से पूछा की लड़की पसन्द है। लड़के ने क्या उत्तर दिया इसके बारे में गुड़िया अनजान थी।मामी और मासी ने भी गुड़िया से कोई बात नही बताई।गुड़िया की शादी की तैयारी होने लगी। गुड़िया भी मन ही मन खुश थी कि चलो अच्छा लड़का मिला।गुड़िया को क्या पता की उसका जीवन बर्बाद किया जा रहा है। ये सब जब हो रहा था तो गुड़िया के पिता नही थे न उनको कोई खबर थी।बारात आयी,शहनाई बजी,गुड़िया शादी के जोड़े में थी। शादी के समय गुड़िया को घूंघट में रखा गया जिससे की वह कुछ देख न सके।गुड़िया को को क्या पता की जिस लड़के को मुझे दिखाया गया उस लड़के का 40 वर्षीय पिता दूल्हा बनकर सामने बैठा है। कलियुगी मामी और मासी की घिनौनी चाल में फंसकर गुड़िया ने अनजाने में शादी कर ली। शादी के बाद जब गुड़िया ने अपने 40 वर्षीय पति को देखा तो मानो जैसे आसमान फट पड़ा हो।गुड़िया अवाक् स्तब्ध थी।गुड़िया को विदा किया गया। अब गुड़िया गुड़िया ससुराल आ गयी थी। जो एक युवती के सपने होते हैं वे सब टूट चुके थ। गुड़िया की दुख भरी कहानी आगे भी जारी रही।आगे की कहानी आप लोग स्वयं समझ सकते हैं।