वैज्ञानिक पूजा पद्धति - शालिनी कपूर


हमारी पूजा विधि में जो भी क्रिया कलाप है वे भगवान् को प्रसन्न करने के लिए कम और हमारी भलाई के लिए अधिक है.इन्हें रोज़ नियमित रूप से करने से हमारे स्वास्थ्य, वातावरण और संबंधों पर सकारात्मक असर होते है .


- धुप में आरोग्यदायक जड़ी बूटियाँ होती है. इसका धूंआ वातावरण को शुद्ध करता है. नकारात्मकता को घटाता है.


- दीप जो सरसों , तिल या घी से जलाया जाता है हवा को शुद्ध करता है. इस पर किया जाने वाला त्राटक शरीर के साथ आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है.


- नैवेद्य - उच्च और शुद्ध भावना के साथ बनाया जाने वाला भोजन शारीरिक , मानसिकऔर बौद्धिक विकास में सहायकहोता है.


- प्रदक्षिणा - गोल घुमने से प्राण शक्ति का विकास होता है.


- नमस्कार - दोनों हाथ जोड़ने से सुषुम्ना नाडी कार्यरत होती है. सर धरती सेटिकाने से धरती की शक्ति प्राप्त होती है. साष्टांग प्रणाम में सम्पूर्ण शरीर धरती के संपर्क में आता है.


- पूजा में चढ़ाए जाने वाले फूल और पत्तियाँ उसके औषधीयमहत्त्व की याद दिलाते है.


- टिका - आज्ञा चक्र , विशुद्धि चक्र क्रियान्वितहोता है. जिस पदार्थ का टिकालगाया जाए उसका असर स्वास्थ्य पर होता है जैसे कुमकुम , हल्दी , चन्दन या केसर .


- कलेवा - हाथ में बांधा जाने वाला यह धागा सभी अन्तःस्त्रावी ग्रंथियों को सुचारू रूप से चलाता है. अगर बहनें हार्मोनल असंतुलन से परेशान है तो उलटे हाथ में धागा बांधे. लाभ होगा.


- घंटा नाद , शंख नाद - वातावरण में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं और नकारात्मकता को नष्ट करता है.प्रणव ओमकार का नाद करता है.


- पूजा के पहले प्राणायाम करने का निर्देश है. स्तोत्र और मन्त्र के शब्दों में तरंगों की शक्तिहै जो नाद ब्रम्ह या शब्द ब्रम्ह कहलाती है.


- अभिषेक करते हुए या तीर्थजल लेते समय मंत्रोच्चार करने से पानी पर मन्त्रों की तरंग का अच्छा असर होता है. ऐसे मंत्रोच्चार से युक्त जल के सेवन से बीमारियाँ दूर होती है.


- मूर्ती पूजा - जिस प्रकारहम अपने प्रिय जन की तस्वीररख कर उससे मन की सहक्ति से संवाद कर सकते है , वैसे ही हम अपने आराध्य की तस्वीर या मूर्ती को देख कर उस परम शक्ति से संपर्क साध सकते है. यह मन से मन का रिश्ता है. मूर्ती तो मन को उस स्थिति में ले जाने का माध्यम है.


- परम शक्ति ने मानव की रक्षा के लिए इतने सारे अवतार लिए है , जिससे हमारे पास इतने सारे देवी और देवता है. हमें हमारे कुल देवता या फिर गुरु द्वारा बताये गए देवता की पूजा और मन्त्र साधना करना चाहिए. घर के मंदिर में अनावश्यक मूर्तियाँ और सामान इकट्ठा ना करें. डर से तो हरगिज़ नहीं.