डॉ. अशोक कुमार एक सच्चा इंसान व पूर्वांचल के शान थे : कवि महंत अरुण दास ब्रह्मचारी



गोरखपुर ५ अगस्त। भागीरथी सांस्कृतिक मंच एवं डॉ अशोक कुमार श्रीवास्तव फैंस क्लब के संयुक्त तत्वाधान में 691 गोष्ठी में मां अकलेश सभागार, सिविल लाइन पर श्रद्धेय डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव एवं लोक प्रिय समाजसेवी व राज नेता  के स्मृति में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए संपन्न हुई।


काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ की कवि महंत अरुण दास ब्रह्मचारी जी ने डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव के जीवन पर प्रकाश डाला, उन्होंने डॉ. अशोक कुमार को सच्चा इंसान व पूर्वांचल के शान थे, इनकी कमी समाज व पूर्वांचल को बहुत खलती हैं, विशेष उपस्थिति पूर्व पार्षद इमामुद्दीन अंसारी जी उपस्थित रहे तथा कार्यक्रम का संचालन सत्यनारायण "पथिक "ने किया।


काव्य गोष्ठी का प्रारंभ कवि प्रदीप मिश्र की वाणी वंदना से हुई।


तत्पश्चात भाई निरंकार शुक्ला साकार की गजल जो कोरोना पर केंद्रित थी-


चांदी लेने गए साथ सोना मिला,
दाल के संग में था भगोना मिला।
एक ही छत के नीचे थी सुविधाएं सब,
 मुफ्त में पूरे घर को कोरोना मिला।


भाई विकास ओझा ने कर्म की परिभाषा कुछ इस तरह से अपने गीत में की --  


जीत के मद् में फूलों, हार कर खुद को  न भूलो।
 रह के सम्यक भाव से, यूं कर्म करना सीख लो।


गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अरुण दास ब्रह्मचारी ने कठिन परिस्थितियों में जी रहे लोग जी रहे लोगों की जिंदगी की तरफ


सभी का ध्यान यूं  खींचा----
जबसे  है मेड़  ही खेत खाने लगी ।
जिंदगी पौध की तिलमिलाने लगी।।


इस अवसर पर बाराबंकी से ऑनलाइन काव्य पाठ किया श्रीमती किरण भरद्वाज ने।


अन्य जिन कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है- सर्वश्री राम सुधार सिंह सैंथवार ,सत्यनारायण "पथिक" त्रिपुरारी शर्मा, नंद कुमार त्रिपाठी, चंद्र प्रसाद वर्मा अकिंचन, प्रदीप मिश्र, राम समुझ सांवरा आदि।


इस अवसर पर उपस्थित रहे श्रोताओं में सर्व श्री इंजीनियर रंजीत कुमार, इंजीनियर, अनुभव, मंजीत कुमार, अरविंद यादव समाजसेवी, सुनील चौधरी, परशुराम यादव, मनीष चंद्र सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे। अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया सत्यनारायण "पथिक" ने।