भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी व स्व सुरत नारायण मणी त्रिपाठी की मूर्ती का नही हुआ अनावरण : ब्रम्हानन्द मिश्रा


स्वर्गीय डॉक्टर सूरत नारायण मणि त्रिपाठी (दलित, विद्या वाचस्पति), गोरखपुर विश्व विद्यालय की स्थापना समिति के संस्थापक अध्यक्ष थे। उनके अथक परिश्रम से, गोरखपुर विश्व विद्यालय की स्थापना हुई। डॉक्टर त्रिपाठी सरकार के बड़े पद भी योगदान दिये है और वह संस्कृत विश्व विद्यालय, वाराणसी के कुलपति भी रहे। डॉक्टर त्रिपाठी के कार्यों को सम्मान देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने डा सुरत नारायण मणी त्रिपाठी की अदम कड़ प्रतिमा गोरखपुर विश्व विद्यालय में लगाने का निर्णय लिया।


यह निर्णय 9 मई 1996 को लिया गया था और 17 सितम्बर 1997 में प्रदेश सरकार द्वारा जिला अधिकारी से पूछा कि मूर्ति परिसर में कहां पर लगाई जाएगी। इसपर विश्व विद्यालय के कुछ राजनीतिक बिद्वानो द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया, और उत्तर प्रदेश सरकार ने, मूर्ति बनवा कर, गोरखपुर बौद्ध संग्रहालय को भेजवा दी।उत्तर प्रदेश सरकार के बार बार पूछे जाने पर भी, ये मूर्ति विश्वविद्यायल मे नहीं लगवाई, गयी और यह जवाब दिया गया कि बिश्वबिद्यालय कार्य परीषद ने यह निर्णय लिया है की ये मूर्ति परिसर मे नहीं लगाई जाएगी। इसके बाद, गोरखपुर विश्वविद्यालय में, कार्य समिति के निर्णय के अनुसार, परिसर में दो मूर्तियां लगवाई गयी हैं।


एक मूर्ति है स्वामी विवेकानद कि, और दूसरी है पंडित दीन दयाल उपाध्याय की। जबकी गोरखपुर विश्व विद्यायल मे मूर्तियां लगवाना का कोई आदेश उत्तर प्रदेश सरकार ने दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश था कि डॉक्टर सूरत नारायण त्रिपाठी की मूर्ति लगाई जाए, सरकार ने ही अपने बजट से उनके मूर्ति बनवाई थी। जो आज तक प्रक्रिया पुरी तरह से लम्बित है l इस परीवार ने अपना सम्पुर्ण योगदान भाजपा के लिये दिया है लेकिन गोरखपुर मंडल मे आज भी विश्वबिद्यालय की राजनिती करने वाले नेताओ को डा o सुरत नारायण मणी त्रिपाठी की प्रतिमा नही लगाये जाने की कसक बनी रहती हैं जबकी देवरिया से इस परीवार से श्री प्रकाश मणी त्रिपाठी सांसद रहे है जबकी बार बार कुलाधिपति के आदेश देने के बाद भी, विश्वविद्यालय की कार्य समिति ने यह मूर्ति नहीं लगाई। इससे साफ पता चलता है कि विश्वविद्यालय ब्राहमण समाज के स्तम्भ रहे डाo त्रिपाठी से पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर जानबूझ कर डॉक्टर सुरत नारायण त्रिपाठी की मूर्ति के प्रकरण में अपमानित किया गया है, उनके द्वारा किये गये सामाजिक कार्य के साथ अन्याय किया गया है डा o त्रिपाठी जिसको गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थापित करने का श्रेय जाता है, उनकी पैत्रीक भूमि मे ही विश्वबिद्यालय स्थापित है l


वही गोरखपुर विश्वविद्यालय जिससे हजारों, लाखों लोग पढ़ लिख कर विश्व मे कई किर्तिमान बनाये और आज अपना जीवन सुखमय ब्यतीत कर रहे हैं - आज भी विश्व विद्यालय मे मूर्ती आज भी बौद्ध संग्रहालय मे पड़ी हुई धूल खा रही है। ब्राहमण समाज के लिये एक पहचान थे स्व सुरत नारायण मणी उनके द्वारा किये गये योगदान को इतिहास के पन्नो से बदलने की कोशिश की जा रही है। इसकी क्या वजह है? ये राजनीतिक हालकान ही समझ सकते है गोरखपुर मंडल के शिक्षा क्षेत्र मे सबसे बड़ा योगदान स्व सुरत नारायण मणी जी का रहा है l


वही भाजपा के जिला कार्यसमिती के सदस्य रहे ब्रम्हानन्द मिश्रा और भाजपा नेता मनोज तिवारी ने इस मुद्दे पर कहा कि श्री त्रिपाठी की मूर्ती नही लगाकर द्वेश की भावना के साथ कार्य किया गया है l पहली बार भाजपा के कुछ राजनीतिक बड़े नेताओ ने जातिय राजनिती का कार्ड प्रदेश मे खेला है देवरिया मे नगर पालिका मे भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और गोरखपुर मे स्व सुरत नारायण मणी त्रिपाठी की मूर्ती न लगना एक बिशेष वर्ग के भाजपा नेताओ के लिये बिचारणीय प्रश्न बन गया है।