_रविवार को प्रारम्भ होगा सावन मास_
*रवीश पाण्डेय*
सलेमपुर, देवरिया। इस सम्बत 2078 बिक्रम शकाब्द 1943 वर्ष मे श्रावण मास 25 जुलाई से प्रारम्भ होकर 22 अगस्त 2021को श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन के साथ समाप्त हो रहा है। श्रावण की महिमा के बारे में बताते हुए पंडित अजय शुक्ल कहते है कि
श्रावण का अर्थ है--श्री +अन:= श्रावण (श्रो +अन:) अर्थात श्री 'राजलक्ष्मी,धनलक्ष्मी,भार्यालक्ष्मी'। अन: यानि 'तरफ अनुगमन करना'। तो सीधा अर्थ हुआ लक्ष्मी की तरफ जाना। अब लक्ष्मी आयेंगी कैसे तो कथन है कि "वेद: नारायण:साक्षात स्वरुप:"
वा "वेद: शिव: शिवो वेद:" दुसरी तरफ
ब्रम्हविष्णुमयों रुद्र: अग्रीशोमात्त्मकं जगत -- इस प्रमाण के अनुसार यह सिद्ध होता है कि रुद्र ही मुलप्रकृति -पुरुषमय आदिदेव साकार ब्रम्ह है और वेदविहित यज्ञ पुरुष स्वयंभू ही रुद्र है अस्तु जब हम नारायण व शिव के शरण मे होंगे तो लक्ष्मी आयेंगी।
अब शिव क्या है तो शिव ही रुद्र है, रुद्र----"रूतम दुःखम नाशयिति स रुद्र:" जो सिद्ध हो चुका है।
अर्थात् शिव यानि भगवांन रुद्र को प्रसन्न करना।
और रुद्र की प्रसन्नता है रूद्राष्टाध्यायी से रूद्राभिषेक। उनका अभिषेक ही उनकी प्रसन्नता है। अब शिव के भक्त या साधक की विभिन्न कामनाएं हैं उन विभिन्न कामनाओं के लिए विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक का विधान है जिसकी चर्चा शास्त्रानुसार है।
वंश विस्तार, रोग नाश, नपुंसकता दूर, कारोबारी मे विकास के लिए घृत से।
पुत्र प्राप्ति, विद्या, सुख, शांति, के लिए दूध से।
क्षय रोग की शांति के लिए मधु से।
गंगाजल से मनोकामनाएं पूर्ण व मोक्ष प्राप्त होता है।
इत्र से रतिकर्म की प्राप्ति।
सुख, आन्नद, लक्ष्मी के लिए गन्ना के रस से।
पारिवारिक अपनापन लाने व अचानक नुकसान से बचने के लिए दही से।
भूत -प्रेत बाधा दूर करने के लिए नारियल के जल से ।
शत्रु दमन, शत्रु नाश के लिए भष्म व सरसो के तेल से।
नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए और सात्विक भावना जागृत करने के लिए वर्षा के जल से।
सुखद स्वास्थ के लिए भांग के रस से।
ज्वर के प्रकोप को शांत करने के लिए जल से।
रोग नाश करने के लिए कुशोदक (कुश के जल) से।
पं अजय कुमार शुक्ल उर्फ जिउत बाबा ने कहा कि भगवान शिव सच्चे मन से भक्ति करने वाले अपने भक्तों को कभी निराश नही करते है, उनका सदैव कल्याण करते है। इस वर्ष सावन के पावन महीने में चार सोमवार पड़ रहा है। सोमवार को जलाभिषेक का अलग ही महत्व है।